Coronavirus effects on relationship - कोरोना वायरस ने दुनिया भर में भारी तबाही मचा दी है, इस से अबतक छह हज़ार से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है और करीब डेढ़ लाख से ज्यादा लोग इस से दुनिया भर में ग्रसित हैं। इस बीमारी की शुरुवात चीन से हुई थी और चीन ही इस से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है , यहाँ के लोग घरों में लोग क़ैदियों की तरह रहने को मजबूर हो गए हैं, कोई भी व्यक्ति घर से बाहर नहीं जा रहा है कोरोना की वजह से लोग घर में बंद हैं और इस से घर में लड़ाई भी बढ़ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, चीन के सिचुआन प्रांत में एक महीने में 300 से ज्यादा लोगों ने तलाक के लिए अर्जी दी हैं। इसकी वजह ये है की अब लोग ज्यादा से ज्यादा समय एक साथ बिता रहें हैं और इस से घर में कलह बढ़ रहा है। दजोउ प्रान्त के एक मैरिज रजिस्ट्री ऑफिस ने बताया की वायरस आने के बाद तलाक की अर्जियों में बढ़ोतरी हुई है। अबतक तक तो कोरोना से लोगों को खतरा था पर अब तो ये परिवार में भी दरार का कारण बढ़ रहा है। Read more – Latest Coronavirus update in Hindi
नई दिल्ली–कोरोना संक्रमण से होने वाली मौत को लेकर लंबे अरसे से बहस जारी है और अब ऐसा लग रहा है की अभी जल्द इस पर पूर्ण विराम लगने वाला है।क्योंकि कोरोना संक्रमण से होने वाली मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने और दिशानिर्देशों को और सरल बनाने के लिए जो आदेश जारी किए थे, उसका अनुपालन करते हुए अब केंद्र सरकार ने नई दिशानिर्देश जारी कर दी है।दरअसल आईसीएमआर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कोरोना संक्रमण से होने वाली मौत के मामलों में आधिकारिक दस्तावेज जारी करने के लिए अपने दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। वहीँ दूसरी ओर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल करते हुए बताया है कि देश के महापंजीयक कार्यालय ने 3 सितंबर को ही मृतकों के परिजनों को मौत की वजह के साथ चिकित्सा प्रमाण पत्र देने का सर्कुलर जारी कर दिया गया था।
वैज्ञानिक इस बात पर भी ध्यान दे रहे हैं कि कुछ मामलों को छोड़कर जो मरीज कोरोना वायरस की वैक्सीन के बिना ठीक हुए हैं उन्हें यह वायरस दोबारा छू भी नहीं रहा है।
पूरी दुनिया कोरोना वायरस की मार झेल रही है। इससे बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को ही कारगर तरीका बताया गया। इसे प्रभावी ढ़ंग से लागू करने के लिए तमाम देशों ने लॉकडाउन का रास्ता चुना। लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कब तक कोरोना वायरस से बचने के लिए छिपकर बैठना होगा। इस बीच चर्चा होने लगी है कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए हर्ड इम्यूनिटी विकसित करने के बार में सोचना चाहिए। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि हर्ड इम्युनिटी यानी सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाए तो कोरोना वायरस से मुकाबला करना आसान हो जाएगा।
अमेरिका में पहले मरीजों पर शुरू हुआ कोरोना वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल
दुनिया भर के कई देश अलग अलग तरीके से कोरोना वायरस का सामना कर रहे हैं। कोई वायरस से बचने के लिए घरों में रहने की सलाह दे रहा है तो कोई घर से बाहर निलकर कोरोना वायरस से लड़ने की बात पर अड़ा है। कोरोना से लड़ने का पहला रास्ता कहता है कि घर पर ही रहो और दूसरा रास्ता कहता है घरों से बाहर निकलो। कहा जा रहा है कि जब तक लोग घरों में हैं तब तक ही ठीक हैं लेकिन जैसे ही वो बाहर निलेंगे तो वायरस उन्हें घेर लेगा। इसलिए इस वायरस का डटकर सामना करने की बात कही जा रही है। जितने ज्यादा लोग संक्रमित होंगे इंसानों के शरीर में वायरस से लड़ने की उतनी ही क्षमता पैदा होगी। इसे ही हार्ड इम्युनिटी कहते हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह बजट (Budget 2021-22) सैलेरीड क्लास (Salaried Class) को निराश कर गया। इस बजट में न तो कोई अतिरिक्त टैक्स छूट (Income Tax Rebate) की घोषणा की गई और न ही टैक्स स्लैब (ax Slab) में कोई सुधार किया गया।इस बजट में सिर्फ वैसे वरिष्ठ नागरिकों (Senior citizen) के लिए एक राहत की घोषणा हुई, जो कि 75 साल से ज्यादा उम्र के होंगे। इनके लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने से छूट मिली। कोरोना से लड़ रही अर्थव्यवस्था (Corona pandemic) में इस बार बजट से पहले इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax slab) का दायरा बढ़ाने से लेकर के टैक्स की दरों को तर्कसंगत बनाने की बात हो रही है। इस बारे में कई सिफारिश वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से की गई थी।बजट में इस बार आयकर दाताओं को कर में छूट मिलने की ज्यादा उम्मीद है। इससे पहले नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे टर्म के लिए जुलाई में पेश किए गए पहले बजट में वित्त मंत्री ने पांच लाख तक की आय वालों को कर में छूट दी थी, लेकिन टैक्स स्लैब में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया था। ऐसे में अब लोगों को उम्मीद जागी थी कि वित्त मंत्री इस बार टैक्स स्लैब में बदलाव कर सकती हैं।इससे कर दाताओं को ज्यादा वेतन घर ले जाने को मिलेगा, जिससे उनका खर्च का दायरा बढ़ेगा। मध्यम वर्ग कहें या सैलेरीड क्लास,इनकी आय कम होती है, लेकिन टैक्स का बोझ ज्यादा होता है। अभी आम आदमी सबसे ज्यादा आयकर का भुगतान करता है। अभी 2.5 लाख से पांच लाख रुपये की आय पर पांच फीसदी टैक्स देना होता है। वहीं पांच से 10 लाख रुपये पर सीधे 20 फीसदी टैक्स दर लागू है। इससे करदाताओं पर सीधा असर पड़ता है। पांच से 10 लाख रुपये के लिए स्लैब को 20 फीसदी से घटाकर के 10 फीसदी करने की मांग भी वित्त मंत्री से करदाता कर रहे थे। लेकिन सबको निराशा ही हाथ लगी।