आज के दौर में हर इंसान गाँव की गलियों को छोड़ शहरों की सड़कों पर भटकना चाहता है, गाँव की सुकून भरी जिंदगी को छोड़ शहरों में दिनभर की थकान पाना चाहता है, कोयल की कूक और चिड़ियों की चहचहाहट को छोड़ भागती गाड़ियों का शोर सुनना चाहता है, मिट्टी की भीनी खुशबु को छोड़ कारखानों और गाड़ियों के धुएँ को अपनाना चाहता है, पेड़ों से मिलने वाली ताजा हवा को छोड़ प्रदुषण भरी साँसें लेना चाहता है। आधा मानव समुदाय यानी 3.5 अरब लोग आज शहरों में रहते हैं और अनुमान है कि 2030 तक 10 में से 6 व्यक्ति शहरों के निवासी होंगे। शहरों में बस्ती जिंदगियों का एक कारण यह भी है कि शहर, संवहनीय विकास की बुनियाद हैं। वहीं पर विचार, वाणिज्य, विज्ञान और उत्पादकता पनपते हैं। शहरों में लोगों को आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से सम्पन्नता के अवसर मिलते हैं किंतु यह ऐसे संपन्न शहरों में ही संभव है, जहाँ लोगों को उत्कृष्ट रोजगार मिल सके तथा जहाँ भूमि संसाधनों पर बढ़वार का बोझ न हो। दुनिया के शहरों ने पृथ्वी की सिर्फ 3% जमीन घेर रखी है लेकिन ऊर्जा की कुल खपत का 60-80% और पृथ्वी का 75% कार्बन उत्सर्जन शहरों में होता है। आने वाले दशकों में करीब 85% शहरी विस्तार विकासशील देशों में होगा। हमारी तेजी से फैलती शहरी दुनिया में भीड़ बढ़ रही है, बुनियादी सेवाओं का अभाव है, उपयुक्त आवास की कमी है और बुनियादी ढांचा कमजोर हो रहा है, जिसके कारण ताजे पानी की आपूर्ति, सीवेज, रहन-सहन के माहौल और जन स्वास्थ्य पर दबाव पड़ रहा है। दुनिया में 30% शहरी जनसंख्या तंग बस्तियों में रहती है और सहारा के दक्षिण अफ्रीकी देशों में आधे से अधिक शहरी निवासी तंग बस्तियों में रहते हैं। यदि हम भारत की बात करें तो यहाँ भी शहरीकरण तेजी से हो रहा है। 2001 और 2011 के बीच देश की शहरी जनसंख्या में 9.1 करोड़ की वृद्धि हुई। अनुमान है कि 2030 तक भारत में एक-एक करोड़ से अधिक की जनसंख्या वाले 6 मेगा शहर होंगे। सतत विकास के संवहनीय शहर तथा समुदाय लक्ष्य के अंतर्गत भारत सरकार के स्मार्ट सिटी मिशन, जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन और अटल पुनर्जीवन एवं शहरी कायाकल्प मिशन शहरी क्षेत्रों में सुधार की चुनौती का सामना करने के लिए कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य 2022 तक सबके लिए आवास का लक्ष्य हासिल करना है। इसके साथ ही इस लक्ष्य के अन्य उद्देश्य सबके लिए उपयुक्त, सुरक्षित और सस्ते आवास तथा बुनियादी सेवाओं की सुलभता सुनिश्चित करना, तंग बस्तियों की स्थिति सुधारना, सुरक्षित, सस्ती, सुलभ और संवहनीय परिवहन प्रणालियों तक पहुँच जुटाना, सार्वजनिक परिवहन के विस्तार से सड़क सुरक्षा सुधारना, महिलाओं, बच्चों, विकलांगों और वृद्धजनों तथा लाचारी की स्थिति में जीते लोगों की जरूरतों पर विशेष ध्यान देना, देश की सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण एवं सुरक्षा के प्रयास मजबूत करना, आदि शामिल हैं।
पिसीओएस (PCOS) या पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम(polycystic ovarian syndrome) अंडाशय को प्रभावित करने वाली एक हार्मोनल (hormonal) स्थिति है। सामान्य मासिक धर्म चक्र(menstural cycle) में, आमतौर पर लगभग 7-8 के आसपास फॉलिकल (follicles) होते हैं जो बढ़ने लगते हैं और इनमें से एक फॉलिकल (follicle) अंडे को छोड़ने के लिए परिपक्व होगा। हालांकि, पीसीओएस से प्रभावित महिला में, एफएसएच (FSH) और एलएच (LH) हार्मोन(hormone) में असंतुलन होता है और एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) का अधिक उत्पादन होता है, जिसकी वजह से कोई भी अंडा (egg) परिपक्व नहीं होता है, जिससे एनोव्यूलेश(anovulation) के कारण बच्चा ठहरने में मुश्किल आती है ।(PCOS) का कारण क्या होता है ?
पीसीओएस(pcos) का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन हम जानते हैं कि पैरेंटल जीन्स (parental genes) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। PCOS विकसित होने की अधिक संभावना होती है, अगर उनके परिवार में डायबिटिक (diabetic)जीन (gene)पायी जाती है | एण्ड्रोजन हार्मोन(androgen hormone)(जो कि एक पुरुष हार्मोन है) का अधिक मात्रा में होना (overproduction) भी पीसीओएस (pcos) में कारण हो सकता है। पीसीओएस में महिलाओं में अक्सर एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) का लेवल नार्मल मात्रा से अधिक मात्रा में पाया जाता है । यह ओवुलेशन(ovulation) के दौरान अंडे के विकास और उसके रिलीज(release) को प्रभावित कर सकता है। इंसुलिन हार्मोन (insulin hormone)(एक हार्मोन जो शुगर(sugar) और स्टार्च(starch) को एनर्जी (energy) में बदलने में मदद करता है) एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) के बढ़े हुए लेवल का कारण भी होता है। एक डॉक्टर को आपको कब दिखाना चाहिए?यदि आप पीसीओएस (pcos) के इन लक्षणों में से किसी भी लक्षण से पीड़ित हैं| PCOS महिलाओं के उम्र की तीनों अवस्थाओं को प्रभावित करता है | 1-किशोरावस्था के दौरान: (young age) मुंहासे, चेहरे पर अत्यधिक बाल आना और अनियमित पीरियड्स होते हैं।2-प्रजनन आयु के दौरान (reproductive age) पॉलीसिस्टिक अंडाशय(ovaries) के साथ बांझपन की दर(percentage) बहुत अधिक है। इन महिलाओं को आमतौर पर गर्भवती होने में कठिनाई होती है और आमतौर पर गर्भधारण के अवसरों में सुधार के लिए उपचार(treatment) की आवश्यकता होती है।जिन महिलाओं में पीसीओएस की वजह से गर्भधारण करने में मुश्किल हो रही है उन्हें एक प्रजनन चिकित्सक (infertility specialist) से परामर्श करना चाहिए जो पीसीओएस को ठीक से समझता है। बांझपन और गर्भावस्था में मधुमेह (gestational diabetes) की संभावना अधिक होती है। 3- 30-40 के बाद: -(old age)ऐसी महिलाओं के लिए मधुमेह, हृदय रोग, गर्भाशय के कैंसर,के लिए 5 गुना बढ़ा हुआ जोखिम होता है| एक अध्ययन(studies) से पता चला है कि भारत में लगभग 18% महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित हैं और बढ़ते मोटापे के कारण यह समस्या और बढ़ती जा रही है।पीसीओएस में गर्भधारण के इलाज को तीन steps में किया जा सकता है जैसे – १- पहला इलाज़ जिसमें महीने के दूसरे या तीसरे दिन से अंडा बनाने की दवाई खिलाकर अल्ट्रासाउंड के जरिये अंडे की वृद्धि को देखते हुए महिला को दिन बता दिए जाते हैं जब हस्बैंड (husband) और( wife) को साथ में रहना होता है |२-अगर पहले इलाज से गर्भधारण नहीं हो पाता तो IUI (intra uterine insemination) के द्वारा गर्भधारण कराया जा सकता है जिसमें कि अंडा बनने पर हस्बैंड (husband) के शुक्राणुओं को लैब (andrology lab) में तैयार करके बच्चेदानी में एक पतली नली के द्वारा डाल दिया जाता है | यह एक दर्दरहित प्रोसीजर (procedure) होता है जिसे करने में सिर्फ ५-१० मिनट ही लगते हैं | ३- आखिरी इलाज IVF (in vitro fertilization) होता है जो कि तब किया जाता है जब पहले सारे इलाज करने के बावजूद गर्भधारण करने में असफलता प्राप्त होती है |IVF में अंडा बनाने के लिए दवाई की जगह इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है ताकि अंडों की अधिक मात्रा में प्राप्ति हो | जिससे हमें एक बार में ही अधिक भ्रूण मिलने की सफलता प्राप्त हो | यह इंजेक्शन १०- १२ दिन लगते हैं और बारहवें दिन जब सारे अंडे mature हो जाते हैं तब , अल्ट्रासाउंड (ultrasound) के जरिये देखते हुए अण्डों को निकाल लिया जाता है | यह बिलकुल दर्दरहित होता है और आपको ३-४ घंटे भर्ती किया जाता है | इसके बाद लैब में भ्रूण बनाया जाता है , जिसे ३-५ दिन बाद बच्चेदानी में डाल दिया जाता है | IVF में इंजेक्शन के अलावा और कहीं भी इस प्रक्रिया में कोई दर्द नहीं होता |हालाँकि, आपको यह ध्यान रखना है कि प्रत्येक मरीज अलग होता है और स्थितियाँ एक मामले से दूसरे मामले में भिन्न हो सकती हैं। इसलिए किसी भी तरह के निष्कर्ष पर जाने से पहले एक अच्छे डॉक्टर की राय लें।ज्यादा जानकारी के लिए और आपकी सहायता करने के लिए हमारे ORIGYN FERTILITY AND IVF CENTRE पर संपर्क करेंहमारे चिकित्सक आपकी हर तरह से सहायता करने के लिए तत्पर हैं |
जब से इस असीम ब्रह्मांड की रचना हुयी है, तभी से इंसान और कुदरत के बीच अटूट संबंध रहा है। पेड़ों से हमें जीवनदायिनी ऑक्सीज़न की प्राप्ति होती है, जिसके बिना मनुष्य जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पेड़ हमेशा से ही हमारे जीवन का आधार रहे हैं। आदिकाल से ही समस्त भारतीय समाज में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता मिली है। भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही पेड़-पौधों को पूजने की परंपरा रही है। हिन्दुस्तान में ऐसा माना जाता है कि विभिन्न वृक्षों में देवताओं का वास होता है। अशोक इंद्र का, कदंब भगवान श्रीकृष्ण का, तुलसी का पौधा विष्णु और लक्ष्मी का, नीम मंसा और शीतला का माना जाता है। पेड़-पौधें प्रकृति के अनमोल देन कहे जाते हैं। ऐसा कोई मजहब नहीं है जो पर्यावरण संरक्षण को महत्व ना देता हो।हैरत और अफ़सोस की बात तो ये है कि भारत जैसे देश में एक तरफ़ जहां पर्यावरण को सर्वोपरि माना गया है और दूसरी तरफ़ बढ़ती आबादी अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए वृक्षों को काट रहे हैं। जिस रफ्तार से पेड़ और पौधे काटे जा रहे है, वो दिन दूर नहीं है जब पेड़ों का अस्तित्व यानी मानव जीवन का अस्तित्व खतरे में आ जायेगा। आंकड़े बताते हैं कि मानव सभ्यता की शुरुआत से अबतक 3 लाख करोड़ से भी ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं। भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2019 का अध्ययन करके ये पता चला है कि भारत में वन क्षेत्र कुल 7,12,249 वर्ग किलोमीटर है। भारत के लोगों में वृक्षारोपण को लेकर जागरूकता बढ़ी है और यही वजह है कि जनमानस अब पेड़ पौधों की अहमियत से वाकिफ़ हो रहे हैं। हिन्दराइज सोशल वेल्फेयर फाउंडेशन के सदस्य पौधारोपण करके लोगों में जागरुकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं जिससे लोग बढ़चढ़कर इस पुनीत कार्य में हिस्सा ले सकें।पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से हिन्दराइज फाउंडेशन के योद्धा दिल्ली एनसीआर के अलग-अलग इलाकों में वृक्षारोपण कर रहे हैं और संस्था के साथ जुड़ने के लिए लोग भी आगे आ रहे हैं।हिन्दराइज फाउंडेशन के पितामह नरेंद्र कुमार के अनुसार प्रकृति का संरक्षण ही सभी के लिए प्राणमयी ऊर्जा है। हिन्दराइज सोशल वेल्फेयर फाउंडेशन के सदस्यों ने ना सिर्फ पौधे लगाने पर जोर दिया है बल्कि लोगों को पौधों की समुचित देखभाल करने के लिए प्रेरित भी किया है।आओ मिलकर पौधे लगाते हैं,धरा को हरा-भरा बनाते हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार स्वाति नक्षत्र/Swati Nakshatra 27 नक्षत्रों में से एक है। स्वाति शब्द सु + अति से बना है, जिसका अर्थ बहुत अच्छा या स्वतंत्र होता है। स्वाति का एक और अर्थ है — धर्मगुरु, जिसे धर्मशास्त्र में महारत हासिल है। स्वाति नक्षत्र से जुड़े कुछ रहस्ययह नक्षत्र धर्म, अंतर्ज्ञान और भगवान का कारक है। जो व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेता है, वह इस नक्षत्र के विषय में जानने का हमेशा इच्छुक रहेगा। इस नक्षत्र की ऊर्जा बहुत दूर तक बिखरती है। कहीं पर यह नक्षत्र कायापलट या फिर कहीं पर बदलाव का बिंदु बन जाता है।खुद को पूरी तरह से स्वतंत्र कर लेने की चाह इस नक्षत्र की पहचान है। हालांकि जीवन की कोई भी प्रक्रिया हो, उसमें यह बहुत अस्त—व्यस्त दिखाई देते हैं। इस नक्षत्र से जुड़े जातक मार्केटिंग आदि के क्षेत्र में अत्यंत सफल साबित हो सकते हैं। ऐसा क्यों होता है चलिए समझते हैं। स्वाति नक्षत्र से जुड़ी मुख्य बातें इस प्रकार देखें तो इस नक्षत्र/Nakshatra से जुड़े व्यक्ति अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना करते हैं। हालांकि उतार-चढ़ाव का संबंध घर के उस स्वामी पर निर्भर करता है, जिससे यह नक्षत्र प्रभावित रहता है। यह आपसी संबंध, धन आदि से भी जुड़ा होता है। स्वाति नक्षत्र राशि चक्र में पूरी तरह से तुला राशि को प्रभावित करता है, जो कि एक महत्वपूर्ण राशि है। राहु स्वाति नक्षत्र पर शासन करता है, जो कि एक शुष्क ग्रह है और शनि का उच्च अष्टक है। स्वाति नक्षत्र पर वायु या फिर कहें वायु देवता का शासन रहता है। स्वाति नक्षत्र के विषय में अधिक जानकारी इस नक्षत्र में बैठे चंद्रमा, व्यक्ति के मन में इधर—उधर के विचार ला सकते हैं। इस नक्षत्र में जन्में लोग निष्कर्ष निकालने में सक्षम नहीं होते। ऐसा जातक रीढ़विहीन स्वभाव के हो सकते हैं।स्वाति नक्षत्र के जातक की विशेषताएं समाजसेवी शैक्षिक संस्थाओं का गठन करने वाले इस नक्षत्र से जुड़े जातक अमूमन ट्रैवल, टूरिज्म और विमानन उद्योग से जुड़े होते हैं। ऐसे व्यक्ति हमेशा अपनी ताकत बढ़ाने और स्वतंत्र रहने का प्रयास करते हैं। इनके रिश्ते और साझेदारी अमूमन उतार-चढ़ाव भरी होती है।मार्केटिंग ही क्यों है स्वाति नक्षत्र के लिए सबसे उत्तम क्षेत्रमार्केटिंग में सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ बातों की बहुत जरूरत पड़ती है, जैसे अपनी बातों को दूसरों तक पहुंचाना और उपभोक्ताओं की समस्या का तुरंत पता लगाना। इन दोनों ही विषय में स्वाति नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति बहुत ज्यादा अच्छे होते हैं। इसके साथ साथ मार्केटिंग में ऐसे व्यक्तियों की सबसे ज्यादा आवश्यकता पड़ती है, जो अपनी बातों को उपभोक्ताओं के समक्ष हंसते और खिलखिलाते चेहरे के साथ रखें और हर व्यक्ति को समझाना कि उन्हें इस सामान की आवश्यकता है।जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि स्वाति नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का व्यक्तित्व हंसने खेलने वाला होता है। ऐसा नहीं है कि स्वाति नक्षत्र में जन्मे लोगों को सिर्फ मार्केटिंग में सफलता मिलती है। वह अन्य क्षेत्रों में भी सफल हो सकते हैं, लेकिन इस क्षेत्र में सफल होने की संभावना अच्छी होती है। इससे अधिक जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट www.vinaybajrangi.com पर जा सकते है और अपॉइंटमेंट बुक करने पर डॉ विनय बजरंगी जी के समक्ष बैठकर आप अपने प्रश्नो के उत्तर पा सकते है।Source: https://sites.google.com/view/vinaybajrangis/blog/swati-nakshatra
कानून अथवा लॉ का प्रोफेशन बेहद संवेदनशील एवं जिम्मेदारी का प्रोफेशन है जो समाज व देश निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।अगर आप लॉ की फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले एक प्रतिष्ठत संस्थान की तलाश होगी। आपके लिए एसजीटी यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी एक बेहतर विकल्प हो सकती है।एसजीटी यूनिवर्सिटी की लॉ फैकेल्टी (विधि संकाय) की स्थापना वर्ष 2014 में विभिन्न सामाजिक (सोशल)एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि (कल्चरल बैकग्राउंड) से आने वाले छात्रों को गुणवत्तापूर्ण कानूनी शिक्षा प्रदान करने के मिशन के साथ की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को समृद्ध अकादमिक वातावरण प्रदान करना है, जिससे अधिक से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रबुद्ध व मेहनती लॉ प्रोफेशनल्स तैयार हो सकें।क्यों चुने एसजीटी यूनिवर्सिटीकीफैकल्टीऑफ लॉ कोएसजीटी विश्वविद्यालय की लॉ फैकेल्टी उच्चतम गुणवत्ता वाली कानूनी शिक्षा देनेके लिए प्रतिबद्ध है। यहां देश-दुनिया के प्रतिष्ठितविश्वविद्यालयोंकेअनुभवीशिक्षक अपनी सेवाएं देते हैं। यहां के पाठ्यक्रमको नेशनललॉयूनिवर्सिटी के साथकोलेबरेशन में बनाया गया है। यह फैकेल्टी लाइव केस हैंडलिंग केअनुभव के लिए प्रतिष्ठित लॉयर्सएवं लॉ फर्मों के साथ इंटर्नशिप का अवसर प्रदान करता है। यहां वैश्वीक (ग्लोबल) की कानूनी समझ विकसित करने के लिए विदेशी कानूनी प्रणाली (फॉरेन लॉ सिस्टम) की पढ़ाई भी करायी जाती है। यहां छात्रों को सेमिनारों, सम्मेलनों, मूट कोर्ट व इंटरैक्टिव सेशन्स में बड़े कानून विशषज्ञों के साथ सीधे इंटरेक्शन का मौका मिलता है।इसका भारतीय राष्ट्रीय बार एसोसिएशन व CIRCजैसे संस्थानों के साथ कॉलेबरेशन है।यहां न्यायिक सेवाओं (लॉ सर्विसेज) और सिविल सेवाओं (सिविल सर्विसेज) की परीक्षा के लिए इन बिल्ट कोचिंग मॉड्यूल भी उपलब्ध है।कोर्स एवं कार्यक्रम एसजीटी यूनिवर्सिटी का लॉ फैकेल्टी निम्नलिखित कोर्स/प्रोग्राम ऑफर करता है-BA LLB (Hons.
)Bachelor of Law (LLB)Masters of LawPh.D in Law एसजीटी यूनिवर्सिटी के लॉ फैकेल्टी के इंडस्ट्रीयल टाई-अपविधि संकाय (लॉ फैकेल्टी) ने निम्नलिखित व्यावसायिक संघों / संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं:इंडियन नेशनल बार एसोसिएशन, नई दिल्ली।सीयूटीएस इंस्टीट्यूट फॉर रेगुलेशन एंड कॉम्पिटिशन (CIRC), नई दिल्ली।इंडस्ट्री ओरिएंटेडस्पेशल कोर्सएसजीटी यूनिवर्सिटी की लॉ फैकेल्टी कुछ चुनिंदा लॉ स्कूलों में से एक है जो एक ट्राइमेस्टर पैटर्न प्रदान करते हैं, जिसमें एक छात्र को एक वर्ष में तीन बार इंटर्नशिप का अवसर मिलता है। जिससे 5 साल की डिग्री प्रोग्राम के अंत में 15 इंटर्नशिप करने के बाद छात्र प्रोफेशनल सेवाओं के लिए पूरी तरह तैयार होता है।सेमेस्टर / वर्षों में विभाजित विशेष ऐड-ऑन कोर्सलॉ फैकेल्टी छात्रों को आनर्स के चयन में पूरी आजादी देता है। कोई भी छात्र कॉरपोरेट लॉ, इंटरनेशनल ट्रेड लॉ, कांस्टीट्यूशनल लॉ या क्रिमिनल लॉ में विशेषज्ञता का चयन अपनी इच्छा और करियर के विकल्पों के आधार पर कर सकता है। अंतिम वर्ष में छात्रों को निम्नलिखित विशेष पाठ्यक्रमों की पेशकश की जाती है जैसे:अमेरिकी लॉ सिस्टम, यूरोपीय यूनिय लॉ, इंग्लिश लिगल सिस्टम और एक विदेशी भाषा (फ्रेंच या जर्मन)।लॉ की पढ़ाई के बाद करियर की क्या हैं संभावनाएं?लॉ की पढाई के बाद एकलॉयर के रूप में अपने करियर की शुरूआत करने के अलावालॉ स्नातकों के पास आज कानून के प्रोफेशन में शामिल होने के लिए विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों में लॉ ऑफिसर / लिगलएडवाइजर / लिगल एक्सीक्यूटिव के रूप में काम करने का विकल्प है। बड़े कॉरपोरेट घराने, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों, बैंक, बीमा कंपनियां, एलपीओ और एनजीओ उच्च पैकेज पर लॉ ग्रेजुएट्स कासीधे कैम्पस प्लेसमेंट करते हैं। इसके अतिरिक्त लॉ ग्रेजुएट्स सिविल सर्विसेजमें भी अपनी सेवाएं दे सकते हैं।लॉ फैकेल्टी, एसजीटी यूनिवर्सिटी मानव गरिमा एवं सामाजिक कल्याण (सोशल वेलफेयर) को बढ़ावा देने और जनसामान्य को न्याय प्रदान करने के लिए समर्पित लॉ प्रोफेशनल्स का निर्माण करना चाहता है। साथ ही इसका उद्देश्य विश्व स्तर के लॉ प्रोफेनल्स का निर्माण करना है।
दिल्ली में जन्म लेने वाले Sidharth Malhotra का जन्म 16 जनवरी 1985 को हुआ ने अपने करियर की शुरुआत मोडलिंग से की थी और उसके बाद इन्होने धीरे धीरे फ़िल्मी दुनिया में अपना हाथ अजमाया और शुरुआत की जाने माने डायरेक्टर करण जौहर के साथ बतौर सहनिर्देशक काम करते हुए 2010 में और फिल्म थी “ माय नेम इज खान “ और इसके बाद As an Actor इन्होने अपने करियर की शुरुआत सन 2012 में करण जौहर की ही फिल्म “ स्टूडेंट ऑफ़ दी इयर “ से की और आपको बता कि इसी फिल्म में Director महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट ने और वरुण धवन जो कि डेविड धवन के बेटे है ने भी इसी फिल्म के जरिये अपने अपने करियर की शुरुआत की और इसका पूरा पूरा श्रेय फिल्म निर्देशक करण जौहर को जाता है AIB ( All India Backchod) जो कि एक कॉमेडी स्टार्टअप है उसके द्वारा किये गये एक विवादित शो AIB ROAST में (जो कि असल में नहीं है बात लोगो के नजरिये की है ) इस बारे में तन्मय भट्ट ने करण जौहर का इस बात को लेकर मजाक भी बनाया गया था | खैर हम बात कर रहे थे sidharth malhotra के life के बारे में तो इसलिए यह जानना भी जरुरी है कि सिद्धार्थ के साथ इनकी फिल्म “ Student of the Year” में सिद्धार्थ के साथ अलिया की जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया और कमाई के अनुसार यह फिल्म सुपरहिट रही थी | सन 2014 में सिद्धार्थ की दो और फिल्मे हंसी तो फंसी और एक विलेन प्रदर्शित हुयी जिसे भी दर्शकों द्वारा काफी सराहा गया |sidharth malhotra biography in hindiEarly lifesidharth malhotra का जन्म एक पंजाबी परिवार में दिल्ली में हुआ और उनके पिता सुनील मल्होत्रा Indian merchent navy में एक कर्मचारी थे | स्कूल की पढाई दिल्ली में ही दो स्कूलों में पूरी करने के बाद 18 साल की उम्र में sidharth malhotra ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ही “ शहीद भगत सिंह कॉलेज” में अपना दाखिला लिया और साथ ही मोडलिंग की दुनिया में भी अपना करियर शुरू किया लेकिन सफल मॉडल होने के बाद भी चार साल बाद इन्होने मॉडलिंग को छोड़ने का फैसला किया क्योंकि वो अपने करियर के फील्ड को लेकर संतुष्ट नहीं थे और जब इंसान अपनी जिंदगी से सन्तुस्ट नहीं होता है तब वह या तो सबकुछ छोड़ देता है या कुछ बड़ा करने का निर्णय लेता है। बड़ा करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है अंदर से मोटिवेटेड रहना, सिद्धार्थ मल्होत्रा उन इंसानो में से है जो खुद को सेल्फ मोटीवेट कर सकते है बिना किसी बाहरी प्रभाव के अगर आपके अंदर सेल्फ मोटिवेशन की कमी है तो आप हिंदी मोटिवेशनल कोट्स का रोजाना इस्तेमाल करके अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसर हो सकते है जैसा बाद में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने एक फिल्म में रोल के लिए इन्होने ऑडिशन भी दिया जबकि वह फिल्म बाद में टल गयी थी जिसके बाद इन्होने करण जौहर के साथ काम बतौर सह निर्देशक किया और उसके बाद उन्होंने जिन फिल्मो में काम किया उसके बारे में हम जानते ही है |Career and Filmsidharth malhotra ने जब अपने करियर की शुरुआत अपनी पहली फिल्म “ Student of the year “ के साथ की तो इनके अभिनय को न केवल फिल्म आलोचक राजीव मसंद ने भी सराहा बल्कि कमाई की नजरिये से भी फिल्म सफल रही थी और आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राजीव मसंद भी उस विवादित शो AIB ROAST में शामिल थे जिस पर कथित तौर पर खुद को सभ्य कहने वाले लोगो ने उस शो के पर बहुत बवाल मचाया जो कि बस एक तरह से अलग “व्यस्क कॉमेडी” शो था |sidharth malhotra actor hindi biographyउसके बाद सिद्धार्थ ने दूसरी फिल्म “ हंसी तो फंसी ” पर भी काम किया है जिसमे इनके साथ अदा शर्मा और परिणिति चोपड़ा सहकलाकार थे और यह एक रोमांटिक कॉमेडी मूवी थी और इसके बाद sidharth malhotra मोहित सूरी की एक रोमांटिक थ्रिल्लर फिल्म “ एक विलेन “ में नजर आये जिसके बारे में हर किसी के अलग व्यूज हो सकते है लेकिन अगर कमाई की बात करें तो वह फिल्म भी एक सफल फिल्म थी और ऐसे में सिद्धार्थ ऐसे कलाकारों में शामिल हो गये जो नये आये कलाकारों में सफल कहे जा सकते है |फ़िल्मी दुनिया के इतर अगर बात करें तो सिद्धार्थ की छवि एक बेहतर इन्सान के तौर पर है क्योंकि इन्होने कई सारे तरीकों से सामाजिक कार्यों के लिए फंडिंग की है और साथ ही अक्सर चैरिटी भी करते रहते है और उत्तराखंड में बाढ़ आने के समय अपने साथी कलाकारों के साथ इन्होने पैसे जुटाने के लिए एक इवेंट में भी परफॉर्म किया | इसके अलावा sidharth malhotra को अपने काम के लिए और अपने लुक के लिए भी Times of india के द्वारा कई तरह की सूचियों में शामिल किया गया है |Relationship and rumorsइसके अलावा अगर रिलेशनशिप की बात करें तो अख़बारों में और न्यूज़ चैनल्स में इनका नाम कई बार साथी एक्ट्रेस अलिया भट्ट के साथ जोड़ा गया है लेकिन सिद्धार्थ ने इन सबको कोरी अफवाह बताते हुए इस बारे में एकदम साफ़ कर दिया है कि अभी केवल वो काम करना चाहते है और शादी के लिए अभी काफी उम्र बाकि है | वैसे अगर फिल्म जगत से आने वाली ख़बरों पर विश्वाश करे तो यह भी सुनने में आया है कि एक फिल्म “कपूर एंड संस” में उन्होंने एकदम अलग रोले निभाया है क्योंकि इस फिल्म में वो लेखक के तौर पर काम कर रहे है और इस रोल के लिए वो इतनी मेहनत कर रहे है कि उन्होंने इस रोल में खुद को फिट बिठाने के लिए एक डायरी को अपने पास रखना शुरू कर दिया और उसमें कुछ लिखने की आदत भी डाल रखी है | मार्च 2016 में रिलीज होने वाली इस फिल्म में उनके द्वारा प्ले किये जाने वाले रोले को लेकर वो इतने संजीदा है कि वो अपनी जिन्दगी में होने वाले छोटे छोटे घटनाओं को वो नोट करते रहते है ताकि इस रोल के लिए एकदम सहज रह सकें |Natureइसके अलावा sidharth malhotra के बारे में यह बात भी लोग जानते है कि वो स्वाभाव से काफी शर्मीले है हालाँकि ओन-स्क्रीन उनकी जोड़ी अलिया के साथ बेहद क्यूट और हॉट नजर आती है और हो सकता है रियल life में अपने साथ काम करने वाले साथी कलाकारों के साथ वो सहज महसूस करतें हो लेकिन लड़कियों के मामले में सिद्धार्थ काफी शर्मीले तौर पर जाने जाते है |इसके अलावा सिद्धार्थ अपनी बात को प्रभावी तरीके से रखने के लिए जाने जाते है क्योंकि मुम्बई एक बार पाकिस्तान के किसी कृत्य को लेकर इस बारे में शिवसेना ने नाराजगी जाहिर करते हुए पाकिस्तान के कलाकरों पर प्रतिबन्ध लगाने तक की बात कह डाली थी ऐसे में सिद्धार्थ के साथ काम करने वाले एक पाकिस्तान के कलाकार के समर्थन में सिद्धार्थ ने एक समारोह के दौरान उन्होंने इस बारे में कहा कि “ कलाकार कलाकार होता है उसे किसी देश या संस्था की सीमाओं में बांधकर देखना ठीक नहीं है और यह रचनात्मकता का सवाल है |” तो इस तरह हम सिद्धार्थ मल्होत्रा को एक जागरूक अभिनेता के रूप में देख सकते है जो जीवंत मुद्दों को लेकर सजग भी है और एक बेहतर कलाकार भीइसके अलावाsidharth malhotra एक बेहतरीन रग्बी प्लेयर भी है और दिल्ली में पले बढे होने के बाद भी इन्हें आउटडोर खेलों में बहुत रूचि है और वो इस बारे में बढ़ावा देने को भी तत्पर रहते है | इसके साथ ही सिद्धार्थ की फ़ुटबाल टीम की तरफ से भी खेलते है और उनका मानना है कि जिम जाकर अपनी सेहत के लिए कुछ करने से बेहतरीन है जिम से बाहर जाकर खेलों के जरिये खुद को फिट रखना क्योंकि ऐसे में आप दिमाग और दिल के साथ साथ शरीर की सेहत का भी बेहतर ख्याल कर सकते है | सिद्धार्थ को प्रकृति से बेहद लगाव है ऐसा वो कहते है क्योंकि टूरिज्म न्यूजीलैंड के पहले भारतीय एम्बैसडर बने है |तो ये है sidharth malhotra biography in hindi और अधिक जानकारी या अपने किसी सवाल के लिए आप हमे ईमेल कर सकते है और हमारी वेबसाइट से hindi biography Update पाने के लिए आप हमे फेसबुक पर फॉलो भी कर सकते है
हालाँकि, यह ध्यान का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा नहीं है और न ही ज़ेन ध्यान के दौरान कैसे बैठें यह एक बहुत ही रोचक प्रश्न है। कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि बैठने का यह बड़ा नापसंद है। वे वहां नहीं रहना चाहते हैं, वे बस वहां लेटना चाहते हैं, जिस स्थिति में वे चाहते हैं कि वे अपने आप से सोच रहे हों, "मुझे उठना है और कुछ हाथ या पैर या कुछ भी ले जाना है ताकि मैं कुछ गहरी चेतना में जा सकूं।" मेरे लिए सुंदर ज़ेन लगता है।
वास्तविक सत्य यह है कि बैठना बहुत महत्वपूर्ण है, और यह ध्यान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।यह आपका प्राथमिक ध्यान होना चाहिए। निश्चित रूप से, बैठे हुए ध्यान आपको मन की अधिक आराम की स्थिति प्राप्त करने में मदद कर सकता है, लेकिन यह आपको उस तरह से कोई शक्ति नहीं देता है जिस तरह से आपका शरीर उस समय महसूस करता है जब आप ध्यान कर रहे होते हैं।
लोग सोचते हैं कि बैठना ध्यान के लिए एक शर्त है, लेकिन यह सच नहीं है। यदि आप बैठते समय बैठने में सहज नहीं हैं, तो आप ऐसा नहीं भी कर सकते हैं। और यदि आप हैं, तो आप केवल बैठे-बैठे ही नाराज हो जाएंगे।
तो आपको बैठने के लिए कैसे संपर्क करना चाहिए? शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसे तार्किक दृष्टिकोण से देखा जाए। अगर आप इसे अपने दिमाग से देखेंगे तो आप पाएंगे कि मन ध्यान करने की स्थिति में नहीं है। इसलिए आपको कुशन या तकिए पर बैठकर दिमाग से काम लेना चाहिए। विचार यह है कि मन को विश्राम और शांति की स्थिति में जाने दिया जाए।
जब आपका मन अन्य विचारों में नहीं भटक रहा हो, तो अपनी आँखें बंद करना शुरू करें। अपने आप को एक अंधेरे कमरे में काले और सफेद विपरीत रंगों के साथ देखें। कमरे के केंद्र में और अपनी आंखों से उसके आस-पास एक जगह देखने पर ध्यान दें। विज़ुअलाइज़ेशन को आपके लिए वास्तविक होने में कुछ क्षण लग सकते हैं, लेकिन सुनिश्चित करें कि आप इस पर ध्यान केंद्रित करते हैं। फिर आप अपने शरीर को अपने पैरों से सिर तक मालिश करके अपने शरीर को आराम देने के लिए आगे बढ़ सकते हैं।
यह आसान लग सकता है, लेकिन जब आप इसके बारे में सोचते हैं, तो आप पाएंगे कि इस कार्य को पूरा करने के लिए आपको बहुत अधिक एकाग्रता करनी होगी। तो, ज़ेन ध्यान के दौरान कैसे बैठना है यह उतना आसान नहीं है जितना लगता है। हालाँकि, एक बार जब आप यह सीख लेते हैं, तो आप जब चाहें इसका सफलतापूर्वक अभ्यास कर सकेंगे। जैसे-जैसे आप अपने अभ्यास के माध्यम से आगे बढ़ते हैं, वैसे-वैसे विश्राम और ध्यान तकनीकों के बारे में न भूलें।
सबसे पहले मैं आप सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ कि आप लोगों ने मुझे यह अद्भुत अवसर प्रदान किया। ताकि मैं अपने प्रिय देश के विषय में इस महान अवसर पर अपने कुछ शब्द आप लोगों के समक्ष रख सकूं।हमारा देश भारत 15 अगस्त 1947 से एक स्वराज्य बन चुका है। भारत को ब्रिटिश सरकार/हुकूमत से 15 अगस्त 1947 को आज़ादी मिली थी।परन्तु हमारे देश का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागु हुआ और हम उस दिन को पूर्ण रूप से आजादी मानते हैं। इसलिए हम अपनी आज़ादी की ख़ुशी में प्रतिवर्ष यह उत्सव मनाते हैं।इस वर्ष 2021 में हम भारतवासी, हमारे देश भारत का 72वां गणतंत्र दिवस आज 26 जनवरी के दिन मना रहे हैं।रिपब्लिक या गणतंत्र का मतलब होता है लोगों की सर्वोच्च शक्ति, अर्थात देश में लोगों के ऊपर अपने राजनीतिक नेता को चुनने का अधिकार होता है।हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों की कड़ी मेहनत और संघर्ष के पश्चात ही भारत को पूर्ण स्वराज मिला।उन्होंने हमारे लिए बहुत कुछ किया ताकि हमें वो जुल्म और अत्याचार सहना ना पड़े और हमारा देश भारत आगे बढ़ सके। भारत देश की स्वतंत्रता के लिए जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना खून-पसीना एक किया।उनमें से हमारे कुछ महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और नेताओं के नाम हैं:- महात्मा गाँधी, भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, लाला लाजपत राय, सरदार बल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री।इन स्वतंत्रता सेनानियों ने लगातार कई वर्षों तक ब्रिटिश सरकार का सामना किया और हमारे वतन को आज़ाद कराया।उनके इस बलिदान को हम कभी भी भुला नहीं सकते हैं और उन्हें हमेशा एक महान उत्सव और समारोह के जैसे ही दिल से याद करना चाहिए। क्योंकि उन्हीं की वजह से आज हम अपने देश में आज़ादी से सांस ले पा रहे हैं।हमारे प्रथम राष्ट्रपति डॉ.
राजेंद्र प्रसाद जिन्होंने कहा था, ”हमारे पूर्ण महान और विशाल देश के अधिकार को हमने एक ही संविधान और संघ में पाया है। जो देश में रहने वाले 320 लाख पुरुषों और महिलाओं के कल्याण की जिम्मेदारी लेता है।”यह बहुत ही शर्म की बात है कि इतने वर्षों की आज़ादी के बाद भी आज हम अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा से लड़ रहे हैं।Read More:- Republic Day Speech in Hindi
पिसीओएस (PCOS) या पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम(polycystic ovarian syndrome) अंडाशय को प्रभावित करने वाली एक हार्मोनल (hormonal) स्थिति है। सामान्य मासिक धर्म चक्र(menstural cycle) में, आमतौर पर लगभग 7-8 के आसपास फॉलिकल (follicles) होते हैं जो बढ़ने लगते हैं और इनमें से एक फॉलिकल (follicle) अंडे को छोड़ने के लिए परिपक्व होगा। हालांकि, पीसीओएस से प्रभावित महिला में, एफएसएच (FSH) और एलएच (LH) हार्मोन(hormone) में असंतुलन होता है और एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) का अधिक उत्पादन होता है, जिसकी वजह से कोई भी अंडा (egg) परिपक्व नहीं होता है, जिससे एनोव्यूलेश(anovulation) के कारण बच्चा ठहरने में मुश्किल आती है ।(PCOS) का कारण क्या होता है ?
पीसीओएस(pcos) का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन हम जानते हैं कि पैरेंटल जीन्स (parental genes) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। PCOS विकसित होने की अधिक संभावना होती है, अगर उनके परिवार में डायबिटिक (diabetic)जीन (gene)पायी जाती है | एण्ड्रोजन हार्मोन(androgen hormone)(जो कि एक पुरुष हार्मोन है) का अधिक मात्रा में होना (overproduction) भी पीसीओएस (pcos) में कारण हो सकता है। पीसीओएस में महिलाओं में अक्सर एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) का लेवल नार्मल मात्रा से अधिक मात्रा में पाया जाता है । यह ओवुलेशन(ovulation) के दौरान अंडे के विकास और उसके रिलीज(release) को प्रभावित कर सकता है। इंसुलिन हार्मोन (insulin hormone)(एक हार्मोन जो शुगर(sugar) और स्टार्च(starch) को एनर्जी (energy) में बदलने में मदद करता है) एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) के बढ़े हुए लेवल का कारण भी होता है। एक डॉक्टर को आपको कब दिखाना चाहिए?यदि आप पीसीओएस (pcos) के इन लक्षणों में से किसी भी लक्षण से पीड़ित हैं| PCOS महिलाओं के उम्र की तीनों अवस्थाओं को प्रभावित करता है | 1-किशोरावस्था के दौरान: (young age) मुंहासे, चेहरे पर अत्यधिक बाल आना और अनियमित पीरियड्स होते हैं।2-प्रजनन आयु के दौरान (reproductive age) पॉलीसिस्टिक अंडाशय(ovaries) के साथ बांझपन की दर(percentage) बहुत अधिक है। इन महिलाओं को आमतौर पर गर्भवती होने में कठिनाई होती है और आमतौर पर गर्भधारण के अवसरों में सुधार के लिए उपचार(treatment) की आवश्यकता होती है।जिन महिलाओं में पीसीओएस की वजह से गर्भधारण करने में मुश्किल हो रही है उन्हें एक प्रजनन चिकित्सक (infertility specialist) से परामर्श करना चाहिए जो पीसीओएस को ठीक से समझता है। बांझपन और गर्भावस्था में मधुमेह (gestational diabetes) की संभावना अधिक होती है। 3- 30-40 के बाद: -(old age)ऐसी महिलाओं के लिए मधुमेह, हृदय रोग, गर्भाशय के कैंसर,के लिए 5 गुना बढ़ा हुआ जोखिम होता है| एक अध्ययन(studies) से पता चला है कि भारत में लगभग 18% महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित हैं और बढ़ते मोटापे के कारण यह समस्या और बढ़ती जा रही है।पीसीओएस में गर्भधारण के इलाज को तीन steps में किया जा सकता है जैसे – १- पहला इलाज़ जिसमें महीने के दूसरे या तीसरे दिन से अंडा बनाने की दवाई खिलाकर अल्ट्रासाउंड के जरिये अंडे की वृद्धि को देखते हुए महिला को दिन बता दिए जाते हैं जब हस्बैंड (husband) और( wife) को साथ में रहना होता है |२-अगर पहले इलाज से गर्भधारण नहीं हो पाता तो IUI (intra uterine insemination) के द्वारा गर्भधारण कराया जा सकता है जिसमें कि अंडा बनने पर हस्बैंड (husband) के शुक्राणुओं को लैब (andrology lab) में तैयार करके बच्चेदानी में एक पतली नली के द्वारा डाल दिया जाता है | यह एक दर्दरहित प्रोसीजर (procedure) होता है जिसे करने में सिर्फ ५-१० मिनट ही लगते हैं | ३- आखिरी इलाज IVF (in vitro fertilization) होता है जो कि तब किया जाता है जब पहले सारे इलाज करने के बावजूद गर्भधारण करने में असफलता प्राप्त होती है |IVF में अंडा बनाने के लिए दवाई की जगह इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है ताकि अंडों की अधिक मात्रा में प्राप्ति हो | जिससे हमें एक बार में ही अधिक भ्रूण मिलने की सफलता प्राप्त हो | यह इंजेक्शन १०- १२ दिन लगते हैं और बारहवें दिन जब सारे अंडे mature हो जाते हैं तब , अल्ट्रासाउंड (ultrasound) के जरिये देखते हुए अण्डों को निकाल लिया जाता है | यह बिलकुल दर्दरहित होता है और आपको ३-४ घंटे भर्ती किया जाता है | इसके बाद लैब में भ्रूण बनाया जाता है , जिसे ३-५ दिन बाद बच्चेदानी में डाल दिया जाता है | IVF में इंजेक्शन के अलावा और कहीं भी इस प्रक्रिया में कोई दर्द नहीं होता |हालाँकि, आपको यह ध्यान रखना है कि प्रत्येक मरीज अलग होता है और स्थितियाँ एक मामले से दूसरे मामले में भिन्न हो सकती हैं। इसलिए किसी भी तरह के निष्कर्ष पर जाने से पहले एक अच्छे डॉक्टर की राय लें।ज्यादा जानकारी के लिए और आपकी सहायता करने के लिए हमारे ORIGYN FERTILITY AND IVF CENTRE पर संपर्क करेंहमारे चिकित्सक आपकी हर तरह से सहायता करने के लिए तत्पर हैं |
दिल्ली में जन्म लेने वाले Sidharth Malhotra का जन्म 16 जनवरी 1985 को हुआ ने अपने करियर की शुरुआत मोडलिंग से की थी और उसके बाद इन्होने धीरे धीरे फ़िल्मी दुनिया में अपना हाथ अजमाया और शुरुआत की जाने माने डायरेक्टर करण जौहर के साथ बतौर सहनिर्देशक काम करते हुए 2010 में और फिल्म थी “ माय नेम इज खान “ और इसके बाद As an Actor इन्होने अपने करियर की शुरुआत सन 2012 में करण जौहर की ही फिल्म “ स्टूडेंट ऑफ़ दी इयर “ से की और आपको बता कि इसी फिल्म में Director महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट ने और वरुण धवन जो कि डेविड धवन के बेटे है ने भी इसी फिल्म के जरिये अपने अपने करियर की शुरुआत की और इसका पूरा पूरा श्रेय फिल्म निर्देशक करण जौहर को जाता है AIB ( All India Backchod) जो कि एक कॉमेडी स्टार्टअप है उसके द्वारा किये गये एक विवादित शो AIB ROAST में (जो कि असल में नहीं है बात लोगो के नजरिये की है ) इस बारे में तन्मय भट्ट ने करण जौहर का इस बात को लेकर मजाक भी बनाया गया था | खैर हम बात कर रहे थे sidharth malhotra के life के बारे में तो इसलिए यह जानना भी जरुरी है कि सिद्धार्थ के साथ इनकी फिल्म “ Student of the Year” में सिद्धार्थ के साथ अलिया की जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया और कमाई के अनुसार यह फिल्म सुपरहिट रही थी | सन 2014 में सिद्धार्थ की दो और फिल्मे हंसी तो फंसी और एक विलेन प्रदर्शित हुयी जिसे भी दर्शकों द्वारा काफी सराहा गया |sidharth malhotra biography in hindiEarly lifesidharth malhotra का जन्म एक पंजाबी परिवार में दिल्ली में हुआ और उनके पिता सुनील मल्होत्रा Indian merchent navy में एक कर्मचारी थे | स्कूल की पढाई दिल्ली में ही दो स्कूलों में पूरी करने के बाद 18 साल की उम्र में sidharth malhotra ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ही “ शहीद भगत सिंह कॉलेज” में अपना दाखिला लिया और साथ ही मोडलिंग की दुनिया में भी अपना करियर शुरू किया लेकिन सफल मॉडल होने के बाद भी चार साल बाद इन्होने मॉडलिंग को छोड़ने का फैसला किया क्योंकि वो अपने करियर के फील्ड को लेकर संतुष्ट नहीं थे और जब इंसान अपनी जिंदगी से सन्तुस्ट नहीं होता है तब वह या तो सबकुछ छोड़ देता है या कुछ बड़ा करने का निर्णय लेता है। बड़ा करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है अंदर से मोटिवेटेड रहना, सिद्धार्थ मल्होत्रा उन इंसानो में से है जो खुद को सेल्फ मोटीवेट कर सकते है बिना किसी बाहरी प्रभाव के अगर आपके अंदर सेल्फ मोटिवेशन की कमी है तो आप हिंदी मोटिवेशनल कोट्स का रोजाना इस्तेमाल करके अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसर हो सकते है जैसा बाद में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने एक फिल्म में रोल के लिए इन्होने ऑडिशन भी दिया जबकि वह फिल्म बाद में टल गयी थी जिसके बाद इन्होने करण जौहर के साथ काम बतौर सह निर्देशक किया और उसके बाद उन्होंने जिन फिल्मो में काम किया उसके बारे में हम जानते ही है |Career and Filmsidharth malhotra ने जब अपने करियर की शुरुआत अपनी पहली फिल्म “ Student of the year “ के साथ की तो इनके अभिनय को न केवल फिल्म आलोचक राजीव मसंद ने भी सराहा बल्कि कमाई की नजरिये से भी फिल्म सफल रही थी और आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राजीव मसंद भी उस विवादित शो AIB ROAST में शामिल थे जिस पर कथित तौर पर खुद को सभ्य कहने वाले लोगो ने उस शो के पर बहुत बवाल मचाया जो कि बस एक तरह से अलग “व्यस्क कॉमेडी” शो था |sidharth malhotra actor hindi biographyउसके बाद सिद्धार्थ ने दूसरी फिल्म “ हंसी तो फंसी ” पर भी काम किया है जिसमे इनके साथ अदा शर्मा और परिणिति चोपड़ा सहकलाकार थे और यह एक रोमांटिक कॉमेडी मूवी थी और इसके बाद sidharth malhotra मोहित सूरी की एक रोमांटिक थ्रिल्लर फिल्म “ एक विलेन “ में नजर आये जिसके बारे में हर किसी के अलग व्यूज हो सकते है लेकिन अगर कमाई की बात करें तो वह फिल्म भी एक सफल फिल्म थी और ऐसे में सिद्धार्थ ऐसे कलाकारों में शामिल हो गये जो नये आये कलाकारों में सफल कहे जा सकते है |फ़िल्मी दुनिया के इतर अगर बात करें तो सिद्धार्थ की छवि एक बेहतर इन्सान के तौर पर है क्योंकि इन्होने कई सारे तरीकों से सामाजिक कार्यों के लिए फंडिंग की है और साथ ही अक्सर चैरिटी भी करते रहते है और उत्तराखंड में बाढ़ आने के समय अपने साथी कलाकारों के साथ इन्होने पैसे जुटाने के लिए एक इवेंट में भी परफॉर्म किया | इसके अलावा sidharth malhotra को अपने काम के लिए और अपने लुक के लिए भी Times of india के द्वारा कई तरह की सूचियों में शामिल किया गया है |Relationship and rumorsइसके अलावा अगर रिलेशनशिप की बात करें तो अख़बारों में और न्यूज़ चैनल्स में इनका नाम कई बार साथी एक्ट्रेस अलिया भट्ट के साथ जोड़ा गया है लेकिन सिद्धार्थ ने इन सबको कोरी अफवाह बताते हुए इस बारे में एकदम साफ़ कर दिया है कि अभी केवल वो काम करना चाहते है और शादी के लिए अभी काफी उम्र बाकि है | वैसे अगर फिल्म जगत से आने वाली ख़बरों पर विश्वाश करे तो यह भी सुनने में आया है कि एक फिल्म “कपूर एंड संस” में उन्होंने एकदम अलग रोले निभाया है क्योंकि इस फिल्म में वो लेखक के तौर पर काम कर रहे है और इस रोल के लिए वो इतनी मेहनत कर रहे है कि उन्होंने इस रोल में खुद को फिट बिठाने के लिए एक डायरी को अपने पास रखना शुरू कर दिया और उसमें कुछ लिखने की आदत भी डाल रखी है | मार्च 2016 में रिलीज होने वाली इस फिल्म में उनके द्वारा प्ले किये जाने वाले रोले को लेकर वो इतने संजीदा है कि वो अपनी जिन्दगी में होने वाले छोटे छोटे घटनाओं को वो नोट करते रहते है ताकि इस रोल के लिए एकदम सहज रह सकें |Natureइसके अलावा sidharth malhotra के बारे में यह बात भी लोग जानते है कि वो स्वाभाव से काफी शर्मीले है हालाँकि ओन-स्क्रीन उनकी जोड़ी अलिया के साथ बेहद क्यूट और हॉट नजर आती है और हो सकता है रियल life में अपने साथ काम करने वाले साथी कलाकारों के साथ वो सहज महसूस करतें हो लेकिन लड़कियों के मामले में सिद्धार्थ काफी शर्मीले तौर पर जाने जाते है |इसके अलावा सिद्धार्थ अपनी बात को प्रभावी तरीके से रखने के लिए जाने जाते है क्योंकि मुम्बई एक बार पाकिस्तान के किसी कृत्य को लेकर इस बारे में शिवसेना ने नाराजगी जाहिर करते हुए पाकिस्तान के कलाकरों पर प्रतिबन्ध लगाने तक की बात कह डाली थी ऐसे में सिद्धार्थ के साथ काम करने वाले एक पाकिस्तान के कलाकार के समर्थन में सिद्धार्थ ने एक समारोह के दौरान उन्होंने इस बारे में कहा कि “ कलाकार कलाकार होता है उसे किसी देश या संस्था की सीमाओं में बांधकर देखना ठीक नहीं है और यह रचनात्मकता का सवाल है |” तो इस तरह हम सिद्धार्थ मल्होत्रा को एक जागरूक अभिनेता के रूप में देख सकते है जो जीवंत मुद्दों को लेकर सजग भी है और एक बेहतर कलाकार भीइसके अलावाsidharth malhotra एक बेहतरीन रग्बी प्लेयर भी है और दिल्ली में पले बढे होने के बाद भी इन्हें आउटडोर खेलों में बहुत रूचि है और वो इस बारे में बढ़ावा देने को भी तत्पर रहते है | इसके साथ ही सिद्धार्थ की फ़ुटबाल टीम की तरफ से भी खेलते है और उनका मानना है कि जिम जाकर अपनी सेहत के लिए कुछ करने से बेहतरीन है जिम से बाहर जाकर खेलों के जरिये खुद को फिट रखना क्योंकि ऐसे में आप दिमाग और दिल के साथ साथ शरीर की सेहत का भी बेहतर ख्याल कर सकते है | सिद्धार्थ को प्रकृति से बेहद लगाव है ऐसा वो कहते है क्योंकि टूरिज्म न्यूजीलैंड के पहले भारतीय एम्बैसडर बने है |तो ये है sidharth malhotra biography in hindi और अधिक जानकारी या अपने किसी सवाल के लिए आप हमे ईमेल कर सकते है और हमारी वेबसाइट से hindi biography Update पाने के लिए आप हमे फेसबुक पर फॉलो भी कर सकते है
जब से इस असीम ब्रह्मांड की रचना हुयी है, तभी से इंसान और कुदरत के बीच अटूट संबंध रहा है। पेड़ों से हमें जीवनदायिनी ऑक्सीज़न की प्राप्ति होती है, जिसके बिना मनुष्य जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पेड़ हमेशा से ही हमारे जीवन का आधार रहे हैं। आदिकाल से ही समस्त भारतीय समाज में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता मिली है। भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही पेड़-पौधों को पूजने की परंपरा रही है। हिन्दुस्तान में ऐसा माना जाता है कि विभिन्न वृक्षों में देवताओं का वास होता है। अशोक इंद्र का, कदंब भगवान श्रीकृष्ण का, तुलसी का पौधा विष्णु और लक्ष्मी का, नीम मंसा और शीतला का माना जाता है। पेड़-पौधें प्रकृति के अनमोल देन कहे जाते हैं। ऐसा कोई मजहब नहीं है जो पर्यावरण संरक्षण को महत्व ना देता हो।हैरत और अफ़सोस की बात तो ये है कि भारत जैसे देश में एक तरफ़ जहां पर्यावरण को सर्वोपरि माना गया है और दूसरी तरफ़ बढ़ती आबादी अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए वृक्षों को काट रहे हैं। जिस रफ्तार से पेड़ और पौधे काटे जा रहे है, वो दिन दूर नहीं है जब पेड़ों का अस्तित्व यानी मानव जीवन का अस्तित्व खतरे में आ जायेगा। आंकड़े बताते हैं कि मानव सभ्यता की शुरुआत से अबतक 3 लाख करोड़ से भी ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं। भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2019 का अध्ययन करके ये पता चला है कि भारत में वन क्षेत्र कुल 7,12,249 वर्ग किलोमीटर है। भारत के लोगों में वृक्षारोपण को लेकर जागरूकता बढ़ी है और यही वजह है कि जनमानस अब पेड़ पौधों की अहमियत से वाकिफ़ हो रहे हैं। हिन्दराइज सोशल वेल्फेयर फाउंडेशन के सदस्य पौधारोपण करके लोगों में जागरुकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं जिससे लोग बढ़चढ़कर इस पुनीत कार्य में हिस्सा ले सकें।पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से हिन्दराइज फाउंडेशन के योद्धा दिल्ली एनसीआर के अलग-अलग इलाकों में वृक्षारोपण कर रहे हैं और संस्था के साथ जुड़ने के लिए लोग भी आगे आ रहे हैं।हिन्दराइज फाउंडेशन के पितामह नरेंद्र कुमार के अनुसार प्रकृति का संरक्षण ही सभी के लिए प्राणमयी ऊर्जा है। हिन्दराइज सोशल वेल्फेयर फाउंडेशन के सदस्यों ने ना सिर्फ पौधे लगाने पर जोर दिया है बल्कि लोगों को पौधों की समुचित देखभाल करने के लिए प्रेरित भी किया है।आओ मिलकर पौधे लगाते हैं,धरा को हरा-भरा बनाते हैं।
हालाँकि, यह ध्यान का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा नहीं है और न ही ज़ेन ध्यान के दौरान कैसे बैठें यह एक बहुत ही रोचक प्रश्न है। कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि बैठने का यह बड़ा नापसंद है। वे वहां नहीं रहना चाहते हैं, वे बस वहां लेटना चाहते हैं, जिस स्थिति में वे चाहते हैं कि वे अपने आप से सोच रहे हों, "मुझे उठना है और कुछ हाथ या पैर या कुछ भी ले जाना है ताकि मैं कुछ गहरी चेतना में जा सकूं।" मेरे लिए सुंदर ज़ेन लगता है।
वास्तविक सत्य यह है कि बैठना बहुत महत्वपूर्ण है, और यह ध्यान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।यह आपका प्राथमिक ध्यान होना चाहिए। निश्चित रूप से, बैठे हुए ध्यान आपको मन की अधिक आराम की स्थिति प्राप्त करने में मदद कर सकता है, लेकिन यह आपको उस तरह से कोई शक्ति नहीं देता है जिस तरह से आपका शरीर उस समय महसूस करता है जब आप ध्यान कर रहे होते हैं।
लोग सोचते हैं कि बैठना ध्यान के लिए एक शर्त है, लेकिन यह सच नहीं है। यदि आप बैठते समय बैठने में सहज नहीं हैं, तो आप ऐसा नहीं भी कर सकते हैं। और यदि आप हैं, तो आप केवल बैठे-बैठे ही नाराज हो जाएंगे।
तो आपको बैठने के लिए कैसे संपर्क करना चाहिए? शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसे तार्किक दृष्टिकोण से देखा जाए। अगर आप इसे अपने दिमाग से देखेंगे तो आप पाएंगे कि मन ध्यान करने की स्थिति में नहीं है। इसलिए आपको कुशन या तकिए पर बैठकर दिमाग से काम लेना चाहिए। विचार यह है कि मन को विश्राम और शांति की स्थिति में जाने दिया जाए।
जब आपका मन अन्य विचारों में नहीं भटक रहा हो, तो अपनी आँखें बंद करना शुरू करें। अपने आप को एक अंधेरे कमरे में काले और सफेद विपरीत रंगों के साथ देखें। कमरे के केंद्र में और अपनी आंखों से उसके आस-पास एक जगह देखने पर ध्यान दें। विज़ुअलाइज़ेशन को आपके लिए वास्तविक होने में कुछ क्षण लग सकते हैं, लेकिन सुनिश्चित करें कि आप इस पर ध्यान केंद्रित करते हैं। फिर आप अपने शरीर को अपने पैरों से सिर तक मालिश करके अपने शरीर को आराम देने के लिए आगे बढ़ सकते हैं।
यह आसान लग सकता है, लेकिन जब आप इसके बारे में सोचते हैं, तो आप पाएंगे कि इस कार्य को पूरा करने के लिए आपको बहुत अधिक एकाग्रता करनी होगी। तो, ज़ेन ध्यान के दौरान कैसे बैठना है यह उतना आसान नहीं है जितना लगता है। हालाँकि, एक बार जब आप यह सीख लेते हैं, तो आप जब चाहें इसका सफलतापूर्वक अभ्यास कर सकेंगे। जैसे-जैसे आप अपने अभ्यास के माध्यम से आगे बढ़ते हैं, वैसे-वैसे विश्राम और ध्यान तकनीकों के बारे में न भूलें।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार स्वाति नक्षत्र/Swati Nakshatra 27 नक्षत्रों में से एक है। स्वाति शब्द सु + अति से बना है, जिसका अर्थ बहुत अच्छा या स्वतंत्र होता है। स्वाति का एक और अर्थ है — धर्मगुरु, जिसे धर्मशास्त्र में महारत हासिल है। स्वाति नक्षत्र से जुड़े कुछ रहस्ययह नक्षत्र धर्म, अंतर्ज्ञान और भगवान का कारक है। जो व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेता है, वह इस नक्षत्र के विषय में जानने का हमेशा इच्छुक रहेगा। इस नक्षत्र की ऊर्जा बहुत दूर तक बिखरती है। कहीं पर यह नक्षत्र कायापलट या फिर कहीं पर बदलाव का बिंदु बन जाता है।खुद को पूरी तरह से स्वतंत्र कर लेने की चाह इस नक्षत्र की पहचान है। हालांकि जीवन की कोई भी प्रक्रिया हो, उसमें यह बहुत अस्त—व्यस्त दिखाई देते हैं। इस नक्षत्र से जुड़े जातक मार्केटिंग आदि के क्षेत्र में अत्यंत सफल साबित हो सकते हैं। ऐसा क्यों होता है चलिए समझते हैं। स्वाति नक्षत्र से जुड़ी मुख्य बातें इस प्रकार देखें तो इस नक्षत्र/Nakshatra से जुड़े व्यक्ति अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना करते हैं। हालांकि उतार-चढ़ाव का संबंध घर के उस स्वामी पर निर्भर करता है, जिससे यह नक्षत्र प्रभावित रहता है। यह आपसी संबंध, धन आदि से भी जुड़ा होता है। स्वाति नक्षत्र राशि चक्र में पूरी तरह से तुला राशि को प्रभावित करता है, जो कि एक महत्वपूर्ण राशि है। राहु स्वाति नक्षत्र पर शासन करता है, जो कि एक शुष्क ग्रह है और शनि का उच्च अष्टक है। स्वाति नक्षत्र पर वायु या फिर कहें वायु देवता का शासन रहता है। स्वाति नक्षत्र के विषय में अधिक जानकारी इस नक्षत्र में बैठे चंद्रमा, व्यक्ति के मन में इधर—उधर के विचार ला सकते हैं। इस नक्षत्र में जन्में लोग निष्कर्ष निकालने में सक्षम नहीं होते। ऐसा जातक रीढ़विहीन स्वभाव के हो सकते हैं।स्वाति नक्षत्र के जातक की विशेषताएं समाजसेवी शैक्षिक संस्थाओं का गठन करने वाले इस नक्षत्र से जुड़े जातक अमूमन ट्रैवल, टूरिज्म और विमानन उद्योग से जुड़े होते हैं। ऐसे व्यक्ति हमेशा अपनी ताकत बढ़ाने और स्वतंत्र रहने का प्रयास करते हैं। इनके रिश्ते और साझेदारी अमूमन उतार-चढ़ाव भरी होती है।मार्केटिंग ही क्यों है स्वाति नक्षत्र के लिए सबसे उत्तम क्षेत्रमार्केटिंग में सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ बातों की बहुत जरूरत पड़ती है, जैसे अपनी बातों को दूसरों तक पहुंचाना और उपभोक्ताओं की समस्या का तुरंत पता लगाना। इन दोनों ही विषय में स्वाति नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति बहुत ज्यादा अच्छे होते हैं। इसके साथ साथ मार्केटिंग में ऐसे व्यक्तियों की सबसे ज्यादा आवश्यकता पड़ती है, जो अपनी बातों को उपभोक्ताओं के समक्ष हंसते और खिलखिलाते चेहरे के साथ रखें और हर व्यक्ति को समझाना कि उन्हें इस सामान की आवश्यकता है।जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि स्वाति नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का व्यक्तित्व हंसने खेलने वाला होता है। ऐसा नहीं है कि स्वाति नक्षत्र में जन्मे लोगों को सिर्फ मार्केटिंग में सफलता मिलती है। वह अन्य क्षेत्रों में भी सफल हो सकते हैं, लेकिन इस क्षेत्र में सफल होने की संभावना अच्छी होती है। इससे अधिक जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट www.vinaybajrangi.com पर जा सकते है और अपॉइंटमेंट बुक करने पर डॉ विनय बजरंगी जी के समक्ष बैठकर आप अपने प्रश्नो के उत्तर पा सकते है।Source: https://sites.google.com/view/vinaybajrangis/blog/swati-nakshatra
कानून अथवा लॉ का प्रोफेशन बेहद संवेदनशील एवं जिम्मेदारी का प्रोफेशन है जो समाज व देश निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।अगर आप लॉ की फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले एक प्रतिष्ठत संस्थान की तलाश होगी। आपके लिए एसजीटी यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी एक बेहतर विकल्प हो सकती है।एसजीटी यूनिवर्सिटी की लॉ फैकेल्टी (विधि संकाय) की स्थापना वर्ष 2014 में विभिन्न सामाजिक (सोशल)एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि (कल्चरल बैकग्राउंड) से आने वाले छात्रों को गुणवत्तापूर्ण कानूनी शिक्षा प्रदान करने के मिशन के साथ की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को समृद्ध अकादमिक वातावरण प्रदान करना है, जिससे अधिक से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रबुद्ध व मेहनती लॉ प्रोफेशनल्स तैयार हो सकें।क्यों चुने एसजीटी यूनिवर्सिटीकीफैकल्टीऑफ लॉ कोएसजीटी विश्वविद्यालय की लॉ फैकेल्टी उच्चतम गुणवत्ता वाली कानूनी शिक्षा देनेके लिए प्रतिबद्ध है। यहां देश-दुनिया के प्रतिष्ठितविश्वविद्यालयोंकेअनुभवीशिक्षक अपनी सेवाएं देते हैं। यहां के पाठ्यक्रमको नेशनललॉयूनिवर्सिटी के साथकोलेबरेशन में बनाया गया है। यह फैकेल्टी लाइव केस हैंडलिंग केअनुभव के लिए प्रतिष्ठित लॉयर्सएवं लॉ फर्मों के साथ इंटर्नशिप का अवसर प्रदान करता है। यहां वैश्वीक (ग्लोबल) की कानूनी समझ विकसित करने के लिए विदेशी कानूनी प्रणाली (फॉरेन लॉ सिस्टम) की पढ़ाई भी करायी जाती है। यहां छात्रों को सेमिनारों, सम्मेलनों, मूट कोर्ट व इंटरैक्टिव सेशन्स में बड़े कानून विशषज्ञों के साथ सीधे इंटरेक्शन का मौका मिलता है।इसका भारतीय राष्ट्रीय बार एसोसिएशन व CIRCजैसे संस्थानों के साथ कॉलेबरेशन है।यहां न्यायिक सेवाओं (लॉ सर्विसेज) और सिविल सेवाओं (सिविल सर्विसेज) की परीक्षा के लिए इन बिल्ट कोचिंग मॉड्यूल भी उपलब्ध है।कोर्स एवं कार्यक्रम एसजीटी यूनिवर्सिटी का लॉ फैकेल्टी निम्नलिखित कोर्स/प्रोग्राम ऑफर करता है-BA LLB (Hons.
)Bachelor of Law (LLB)Masters of LawPh.D in Law एसजीटी यूनिवर्सिटी के लॉ फैकेल्टी के इंडस्ट्रीयल टाई-अपविधि संकाय (लॉ फैकेल्टी) ने निम्नलिखित व्यावसायिक संघों / संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं:इंडियन नेशनल बार एसोसिएशन, नई दिल्ली।सीयूटीएस इंस्टीट्यूट फॉर रेगुलेशन एंड कॉम्पिटिशन (CIRC), नई दिल्ली।इंडस्ट्री ओरिएंटेडस्पेशल कोर्सएसजीटी यूनिवर्सिटी की लॉ फैकेल्टी कुछ चुनिंदा लॉ स्कूलों में से एक है जो एक ट्राइमेस्टर पैटर्न प्रदान करते हैं, जिसमें एक छात्र को एक वर्ष में तीन बार इंटर्नशिप का अवसर मिलता है। जिससे 5 साल की डिग्री प्रोग्राम के अंत में 15 इंटर्नशिप करने के बाद छात्र प्रोफेशनल सेवाओं के लिए पूरी तरह तैयार होता है।सेमेस्टर / वर्षों में विभाजित विशेष ऐड-ऑन कोर्सलॉ फैकेल्टी छात्रों को आनर्स के चयन में पूरी आजादी देता है। कोई भी छात्र कॉरपोरेट लॉ, इंटरनेशनल ट्रेड लॉ, कांस्टीट्यूशनल लॉ या क्रिमिनल लॉ में विशेषज्ञता का चयन अपनी इच्छा और करियर के विकल्पों के आधार पर कर सकता है। अंतिम वर्ष में छात्रों को निम्नलिखित विशेष पाठ्यक्रमों की पेशकश की जाती है जैसे:अमेरिकी लॉ सिस्टम, यूरोपीय यूनिय लॉ, इंग्लिश लिगल सिस्टम और एक विदेशी भाषा (फ्रेंच या जर्मन)।लॉ की पढ़ाई के बाद करियर की क्या हैं संभावनाएं?लॉ की पढाई के बाद एकलॉयर के रूप में अपने करियर की शुरूआत करने के अलावालॉ स्नातकों के पास आज कानून के प्रोफेशन में शामिल होने के लिए विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों में लॉ ऑफिसर / लिगलएडवाइजर / लिगल एक्सीक्यूटिव के रूप में काम करने का विकल्प है। बड़े कॉरपोरेट घराने, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों, बैंक, बीमा कंपनियां, एलपीओ और एनजीओ उच्च पैकेज पर लॉ ग्रेजुएट्स कासीधे कैम्पस प्लेसमेंट करते हैं। इसके अतिरिक्त लॉ ग्रेजुएट्स सिविल सर्विसेजमें भी अपनी सेवाएं दे सकते हैं।लॉ फैकेल्टी, एसजीटी यूनिवर्सिटी मानव गरिमा एवं सामाजिक कल्याण (सोशल वेलफेयर) को बढ़ावा देने और जनसामान्य को न्याय प्रदान करने के लिए समर्पित लॉ प्रोफेशनल्स का निर्माण करना चाहता है। साथ ही इसका उद्देश्य विश्व स्तर के लॉ प्रोफेनल्स का निर्माण करना है।
सबसे पहले मैं आप सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ कि आप लोगों ने मुझे यह अद्भुत अवसर प्रदान किया। ताकि मैं अपने प्रिय देश के विषय में इस महान अवसर पर अपने कुछ शब्द आप लोगों के समक्ष रख सकूं।हमारा देश भारत 15 अगस्त 1947 से एक स्वराज्य बन चुका है। भारत को ब्रिटिश सरकार/हुकूमत से 15 अगस्त 1947 को आज़ादी मिली थी।परन्तु हमारे देश का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागु हुआ और हम उस दिन को पूर्ण रूप से आजादी मानते हैं। इसलिए हम अपनी आज़ादी की ख़ुशी में प्रतिवर्ष यह उत्सव मनाते हैं।इस वर्ष 2021 में हम भारतवासी, हमारे देश भारत का 72वां गणतंत्र दिवस आज 26 जनवरी के दिन मना रहे हैं।रिपब्लिक या गणतंत्र का मतलब होता है लोगों की सर्वोच्च शक्ति, अर्थात देश में लोगों के ऊपर अपने राजनीतिक नेता को चुनने का अधिकार होता है।हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों की कड़ी मेहनत और संघर्ष के पश्चात ही भारत को पूर्ण स्वराज मिला।उन्होंने हमारे लिए बहुत कुछ किया ताकि हमें वो जुल्म और अत्याचार सहना ना पड़े और हमारा देश भारत आगे बढ़ सके। भारत देश की स्वतंत्रता के लिए जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना खून-पसीना एक किया।उनमें से हमारे कुछ महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और नेताओं के नाम हैं:- महात्मा गाँधी, भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, लाला लाजपत राय, सरदार बल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री।इन स्वतंत्रता सेनानियों ने लगातार कई वर्षों तक ब्रिटिश सरकार का सामना किया और हमारे वतन को आज़ाद कराया।उनके इस बलिदान को हम कभी भी भुला नहीं सकते हैं और उन्हें हमेशा एक महान उत्सव और समारोह के जैसे ही दिल से याद करना चाहिए। क्योंकि उन्हीं की वजह से आज हम अपने देश में आज़ादी से सांस ले पा रहे हैं।हमारे प्रथम राष्ट्रपति डॉ.
राजेंद्र प्रसाद जिन्होंने कहा था, ”हमारे पूर्ण महान और विशाल देश के अधिकार को हमने एक ही संविधान और संघ में पाया है। जो देश में रहने वाले 320 लाख पुरुषों और महिलाओं के कल्याण की जिम्मेदारी लेता है।”यह बहुत ही शर्म की बात है कि इतने वर्षों की आज़ादी के बाद भी आज हम अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा से लड़ रहे हैं।Read More:- Republic Day Speech in Hindi