https://www.abstarnews.com/india/reduction-in-new-cases-of-corona-in-india/कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को अपने चपेट में ले रखा है। भारत जहां कोरोना संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर है, तो वहीं अमेरिका पहले स्थान पर है। लेकिन अब भारत में धीरे धीरे कोरोना संक्रमण की रफ्तार काफी कम हो गई है। एक दिन में जहां कोरोना संक्रमितों के एक लाख के करीब मामले सामने आने लगे थे, तो वहीं यह आंकड़ा अब 16 हजार के करीब पहुंच गया है। अगर बीते 24 घंटों की बात करें तो, कुल 16,432 नए मामले देश में सामने आए हैं। कोरोना के नए प्रकार ने भारत सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है। ब्रिटेन से भारत आए 6 लोगों में कोरोना के नए प्रकार स्ट्रेन की पुष्टि हुई है।
Coronavirus effects on relationship - कोरोना वायरस ने दुनिया भर में भारी तबाही मचा दी है, इस से अबतक छह हज़ार से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है और करीब डेढ़ लाख से ज्यादा लोग इस से दुनिया भर में ग्रसित हैं। इस बीमारी की शुरुवात चीन से हुई थी और चीन ही इस से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है , यहाँ के लोग घरों में लोग क़ैदियों की तरह रहने को मजबूर हो गए हैं, कोई भी व्यक्ति घर से बाहर नहीं जा रहा है कोरोना की वजह से लोग घर में बंद हैं और इस से घर में लड़ाई भी बढ़ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, चीन के सिचुआन प्रांत में एक महीने में 300 से ज्यादा लोगों ने तलाक के लिए अर्जी दी हैं। इसकी वजह ये है की अब लोग ज्यादा से ज्यादा समय एक साथ बिता रहें हैं और इस से घर में कलह बढ़ रहा है। दजोउ प्रान्त के एक मैरिज रजिस्ट्री ऑफिस ने बताया की वायरस आने के बाद तलाक की अर्जियों में बढ़ोतरी हुई है। अबतक तक तो कोरोना से लोगों को खतरा था पर अब तो ये परिवार में भी दरार का कारण बढ़ रहा है। Read more – Latest Coronavirus update in Hindi
जब से इस असीम ब्रह्मांड की रचना हुयी है, तभी से इंसान और कुदरत के बीच अटूट संबंध रहा है। पेड़ों से हमें जीवनदायिनी ऑक्सीज़न की प्राप्ति होती है, जिसके बिना मनुष्य जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पेड़ हमेशा से ही हमारे जीवन का आधार रहे हैं। आदिकाल से ही समस्त भारतीय समाज में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता मिली है। भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही पेड़-पौधों को पूजने की परंपरा रही है। हिन्दुस्तान में ऐसा माना जाता है कि विभिन्न वृक्षों में देवताओं का वास होता है। अशोक इंद्र का, कदंब भगवान श्रीकृष्ण का, तुलसी का पौधा विष्णु और लक्ष्मी का, नीम मंसा और शीतला का माना जाता है। पेड़-पौधें प्रकृति के अनमोल देन कहे जाते हैं। ऐसा कोई मजहब नहीं है जो पर्यावरण संरक्षण को महत्व ना देता हो।हैरत और अफ़सोस की बात तो ये है कि भारत जैसे देश में एक तरफ़ जहां पर्यावरण को सर्वोपरि माना गया है और दूसरी तरफ़ बढ़ती आबादी अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए वृक्षों को काट रहे हैं। जिस रफ्तार से पेड़ और पौधे काटे जा रहे है, वो दिन दूर नहीं है जब पेड़ों का अस्तित्व यानी मानव जीवन का अस्तित्व खतरे में आ जायेगा। आंकड़े बताते हैं कि मानव सभ्यता की शुरुआत से अबतक 3 लाख करोड़ से भी ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं। भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2019 का अध्ययन करके ये पता चला है कि भारत में वन क्षेत्र कुल 7,12,249 वर्ग किलोमीटर है। भारत के लोगों में वृक्षारोपण को लेकर जागरूकता बढ़ी है और यही वजह है कि जनमानस अब पेड़ पौधों की अहमियत से वाकिफ़ हो रहे हैं। हिन्दराइज सोशल वेल्फेयर फाउंडेशन के सदस्य पौधारोपण करके लोगों में जागरुकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं जिससे लोग बढ़चढ़कर इस पुनीत कार्य में हिस्सा ले सकें।पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से हिन्दराइज फाउंडेशन के योद्धा दिल्ली एनसीआर के अलग-अलग इलाकों में वृक्षारोपण कर रहे हैं और संस्था के साथ जुड़ने के लिए लोग भी आगे आ रहे हैं।हिन्दराइज फाउंडेशन के पितामह नरेंद्र कुमार के अनुसार प्रकृति का संरक्षण ही सभी के लिए प्राणमयी ऊर्जा है। हिन्दराइज सोशल वेल्फेयर फाउंडेशन के सदस्यों ने ना सिर्फ पौधे लगाने पर जोर दिया है बल्कि लोगों को पौधों की समुचित देखभाल करने के लिए प्रेरित भी किया है।आओ मिलकर पौधे लगाते हैं,धरा को हरा-भरा बनाते हैं।
आईटीबीपी ने कोरोना वायरस से प्रभावित संदिग्ध लोगों को चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए दिल्ली में 600 बिस्तरों वाला अलग चिकित्सा केंद्र तैयार किया है।चीन में Corona Virus के प्रकोप से मरने वालों की अब संख्या बढ़ कर 213 पर हो गई है और इस वायरस से अब तक 9,692 लोग संक्रमित हो चुके है। सरकार की तरफ से शुक्रवार (31 जनवरी 2020) को दी गई जानकारी के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत समेत दुनिया के एक दर्जन से ज्यादा देशों में फैले खतरनाक Corona Virus को वैश्विक स्वास्थ्य आपदा घोषित कर दिया है।वहीं चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि इस वायरस का केंद्र माने जा रहे अकेले हुबेई में 43 मौतें हुई है इसी के साथ मृतकों की संख्या
वैज्ञानिक इस बात पर भी ध्यान दे रहे हैं कि कुछ मामलों को छोड़कर जो मरीज कोरोना वायरस की वैक्सीन के बिना ठीक हुए हैं उन्हें यह वायरस दोबारा छू भी नहीं रहा है।
पूरी दुनिया कोरोना वायरस की मार झेल रही है। इससे बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को ही कारगर तरीका बताया गया। इसे प्रभावी ढ़ंग से लागू करने के लिए तमाम देशों ने लॉकडाउन का रास्ता चुना। लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कब तक कोरोना वायरस से बचने के लिए छिपकर बैठना होगा। इस बीच चर्चा होने लगी है कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए हर्ड इम्यूनिटी विकसित करने के बार में सोचना चाहिए। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि हर्ड इम्युनिटी यानी सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाए तो कोरोना वायरस से मुकाबला करना आसान हो जाएगा।
अमेरिका में पहले मरीजों पर शुरू हुआ कोरोना वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल
दुनिया भर के कई देश अलग अलग तरीके से कोरोना वायरस का सामना कर रहे हैं। कोई वायरस से बचने के लिए घरों में रहने की सलाह दे रहा है तो कोई घर से बाहर निलकर कोरोना वायरस से लड़ने की बात पर अड़ा है। कोरोना से लड़ने का पहला रास्ता कहता है कि घर पर ही रहो और दूसरा रास्ता कहता है घरों से बाहर निकलो। कहा जा रहा है कि जब तक लोग घरों में हैं तब तक ही ठीक हैं लेकिन जैसे ही वो बाहर निलेंगे तो वायरस उन्हें घेर लेगा। इसलिए इस वायरस का डटकर सामना करने की बात कही जा रही है। जितने ज्यादा लोग संक्रमित होंगे इंसानों के शरीर में वायरस से लड़ने की उतनी ही क्षमता पैदा होगी। इसे ही हार्ड इम्युनिटी कहते हैं।