सबसे पहले मैं आप सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ कि आप लोगों ने मुझे यह अद्भुत अवसर प्रदान किया। ताकि मैं अपने प्रिय देश के विषय में इस महान अवसर पर अपने कुछ शब्द आप लोगों के समक्ष रख सकूं।हमारा देश भारत 15 अगस्त 1947 से एक स्वराज्य बन चुका है। भारत को ब्रिटिश सरकार/हुकूमत से 15 अगस्त 1947 को आज़ादी मिली थी।परन्तु हमारे देश का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागु हुआ और हम उस दिन को पूर्ण रूप से आजादी मानते हैं। इसलिए हम अपनी आज़ादी की ख़ुशी में प्रतिवर्ष यह उत्सव मनाते हैं।इस वर्ष 2021 में हम भारतवासी, हमारे देश भारत का 72वां गणतंत्र दिवस आज 26 जनवरी के दिन मना रहे हैं।रिपब्लिक या गणतंत्र का मतलब होता है लोगों की सर्वोच्च शक्ति, अर्थात देश में लोगों के ऊपर अपने राजनीतिक नेता को चुनने का अधिकार होता है।हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों की कड़ी मेहनत और संघर्ष के पश्चात ही भारत को पूर्ण स्वराज मिला।उन्होंने हमारे लिए बहुत कुछ किया ताकि हमें वो जुल्म और अत्याचार सहना ना पड़े और हमारा देश भारत आगे बढ़ सके। भारत देश की स्वतंत्रता के लिए जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना खून-पसीना एक किया।उनमें से हमारे कुछ महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और नेताओं के नाम हैं:- महात्मा गाँधी, भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, लाला लाजपत राय, सरदार बल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री।इन स्वतंत्रता सेनानियों ने लगातार कई वर्षों तक ब्रिटिश सरकार का सामना किया और हमारे वतन को आज़ाद कराया।उनके इस बलिदान को हम कभी भी भुला नहीं सकते हैं और उन्हें हमेशा एक महान उत्सव और समारोह के जैसे ही दिल से याद करना चाहिए। क्योंकि उन्हीं की वजह से आज हम अपने देश में आज़ादी से सांस ले पा रहे हैं।हमारे प्रथम राष्ट्रपति डॉ.
राजेंद्र प्रसाद जिन्होंने कहा था, ”हमारे पूर्ण महान और विशाल देश के अधिकार को हमने एक ही संविधान और संघ में पाया है। जो देश में रहने वाले 320 लाख पुरुषों और महिलाओं के कल्याण की जिम्मेदारी लेता है।”यह बहुत ही शर्म की बात है कि इतने वर्षों की आज़ादी के बाद भी आज हम अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा से लड़ रहे हैं।Read More:- Republic Day Speech in Hindi
बजट 2021 -22 : भारत की पहली डिजिटल बजट महत्ब्पूर्ण और पूरी पेपर लेस आजाद भारत का पहला बजट 26 नबंबर 1947 को पेस किया गया था था उसी समय से प्रिंट करने की परम्परा चल रही थी हलाकि इसबार कुछ अलग हुआ है जो कोविड 19 के कारन सरकार ने वृत्त वर्ष 2021 -22 के आम बजट को कागज पर प्रिंट नहीं हुआ बल्कि इस बार पूरी बजट डिजिटल रखा गया बजट के पहली बार इतिहास में बजट कागज पर छपाई नहीं हुई बल्कि डिजटल बजट रखा गया और फूली पेपर लेस रहा इसे हम कह सकते है की पेपर लेस बजट वित्तमंत्री ने लाल रंग का टैबलेट पर बजट को पढ़ा और इस टैबलेट पर अशोक स्तभ का चित्र था वित् वर्ष का बजट के 6 स्तम्भों पर टिका है स्वस्थ और कल्याण आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकाश भौतिक और वित्तीय अवसंरचना मानव पूंजी में नवजीवन का संचर सरना नवाचार अनुसन्धान और विकाश न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन राजकोषीय स्थिति बजट 2020 -21 में 30.
42 लाख करोड़ खर्च हुआ था राजकोषीय स्थिति बजट 202१-22 में 34.
50 लाख करोड़ खर्च करना है राजकोषीय स्थिति घाटा 2020 -21 में 3.
5 प्रतिशत बजट 2021 -22 : भारत की पहली डिजिटल बजट महत्ब्पूर्ण तथ्य 2021 पद्म विभूषण सम्मान पाने वालों की सूचीगणतंत्र दिवस के अवसर पर यह पुरस्कार दिया जाता है इसके तहत किसी खास क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले नागरिक को तीन श्रेणीयो पदम् विभूषण , पदम् भूषण , पदम् श्री से सम्मानित किया जाता है राजकोषीय स्थिति घाटा 2021 -22 में 6.
8 प्रतिशत भारत की आकस्मिकता निधि पहले 500 करोड़ का था लेकिन अब इस बार 30000 करोड़ का दिया गया बरिष्ठ नागरिको को इस बार 75 वर्ष से अधिक के व्यक्ति को क्र से छूट कर दिया गया है पिछले वर्ष की तुलना में स्वास्थ्य और कल्याण के बजट में 137 प्रतिशत किबड़ोत्री किया है एक नई केंद्रीय प्रायोजित योजना पीएम आत्मनिर्भर स्वास्थ्य भारत योजना 64.
180 करोड़ के परिव्यय के साथ ६ वर्ष क लिए लांच की गए है 17 लोकस्वस्थ इकाइयां की स्थापना २ मोबाइल अस्पताल की स्थापना 15 आपत्कालीन आपरेशन केंद्र की स्थापना क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल विषनु विझान के लिए ४ प्रयोगशाला पोषण और जल आपूर्ति के अंतर्गत संपूरक पोषण कार्यकर्म और पोषण अभियान का विलय मिशन पोषण 2.
जब से इस असीम ब्रह्मांड की रचना हुयी है, तभी से इंसान और कुदरत के बीच अटूट संबंध रहा है। पेड़ों से हमें जीवनदायिनी ऑक्सीज़न की प्राप्ति होती है, जिसके बिना मनुष्य जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पेड़ हमेशा से ही हमारे जीवन का आधार रहे हैं। आदिकाल से ही समस्त भारतीय समाज में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता मिली है। भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही पेड़-पौधों को पूजने की परंपरा रही है। हिन्दुस्तान में ऐसा माना जाता है कि विभिन्न वृक्षों में देवताओं का वास होता है। अशोक इंद्र का, कदंब भगवान श्रीकृष्ण का, तुलसी का पौधा विष्णु और लक्ष्मी का, नीम मंसा और शीतला का माना जाता है। पेड़-पौधें प्रकृति के अनमोल देन कहे जाते हैं। ऐसा कोई मजहब नहीं है जो पर्यावरण संरक्षण को महत्व ना देता हो।हैरत और अफ़सोस की बात तो ये है कि भारत जैसे देश में एक तरफ़ जहां पर्यावरण को सर्वोपरि माना गया है और दूसरी तरफ़ बढ़ती आबादी अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए वृक्षों को काट रहे हैं। जिस रफ्तार से पेड़ और पौधे काटे जा रहे है, वो दिन दूर नहीं है जब पेड़ों का अस्तित्व यानी मानव जीवन का अस्तित्व खतरे में आ जायेगा। आंकड़े बताते हैं कि मानव सभ्यता की शुरुआत से अबतक 3 लाख करोड़ से भी ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं। भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2019 का अध्ययन करके ये पता चला है कि भारत में वन क्षेत्र कुल 7,12,249 वर्ग किलोमीटर है। भारत के लोगों में वृक्षारोपण को लेकर जागरूकता बढ़ी है और यही वजह है कि जनमानस अब पेड़ पौधों की अहमियत से वाकिफ़ हो रहे हैं। हिन्दराइज सोशल वेल्फेयर फाउंडेशन के सदस्य पौधारोपण करके लोगों में जागरुकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं जिससे लोग बढ़चढ़कर इस पुनीत कार्य में हिस्सा ले सकें।पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से हिन्दराइज फाउंडेशन के योद्धा दिल्ली एनसीआर के अलग-अलग इलाकों में वृक्षारोपण कर रहे हैं और संस्था के साथ जुड़ने के लिए लोग भी आगे आ रहे हैं।हिन्दराइज फाउंडेशन के पितामह नरेंद्र कुमार के अनुसार प्रकृति का संरक्षण ही सभी के लिए प्राणमयी ऊर्जा है। हिन्दराइज सोशल वेल्फेयर फाउंडेशन के सदस्यों ने ना सिर्फ पौधे लगाने पर जोर दिया है बल्कि लोगों को पौधों की समुचित देखभाल करने के लिए प्रेरित भी किया है।आओ मिलकर पौधे लगाते हैं,धरा को हरा-भरा बनाते हैं।