अंतर्राष्ट्रीय वन मेला 22 से 26 दिसम्बर तक भोपाल के लाल परेड मैदान में आयोजित हो रहा है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार 22 दिसम्बर को शाम 6 बजे वन मेले का शुभारंभ करेंगे। वन मंत्री डॉ. कुँवर विजय शाह अध्यक्षता करेंगे। चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग, सहकारिता मंत्री श्री अरविंद भदौरिया, आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रामकिशोर कांवरे सहित प्रमुख सचिव वन श्री अशोक वर्णवाल प्रमुख रूप से मौजूद रहेंगे।
मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक श्री पुष्कर सिंह ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय मेले में वन विभाग की योजनाओं पर केन्द्रित प्रदर्शनी लगाई जाएगी। मेले की थीम 'लघु वनोपज से स्वास्थ्य सुरक्षा' रखी गई है। इस दरम्यान थीम पर आधारित कार्यशाला प्रमुख आकर्षण का केन्द्र होगी। मेले में दुर्लभ किस्म की जड़ी-बूटियाँ और वन समितियों एवं वन-धन केन्द्रों द्वारा तैयार किए गए उत्पाद आम लोगों को उपलब्ध हो सकेंगे।
Ranveer Singh Shared a Post on Instagram: कोरोना वायरस का कहर रुकने का नाम नहीं ले रहा है, इसकी वजह से कई बड़े प्रोग्राम और कॉन्फ्रेंस रद्द हो गए हैं। हर जगह लोग भीड़ में जाने से बच रहे हैं, इसी वजह से ज़ी सिने अवार्ड 2020 के आयोजनकर्ताओं ने इस अवार्ड शो रेड कारपेट इवेंट भी रद्द कर दिया है। ये अवार्ड शो कल रात हुआ और बॉलीवुड के सितारों ने इस अवार्ड शो की तस्वीरें सोशल मीडिया में शेयर की। बहुत से सितारों ने अपने अवार्ड के साथ इंस्टाग्राम में फोटो शेयर भी की।Read more: Latest bollywood updates
नामवर सिंह ने कल रात तकरीबन 11.50 बजे आखिरी सांस ली। 92 साल की उम्र में छोड़ा साथ, करीब एक महीने से दिल्ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर में नामवर सिंह ब्रेन हैमरेज की वजह से लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे।नामवर सिंह हिंदी साहित्य जगत का मशहुर सम्मानित नाम हैं। उन्होंने आलोचना और साक्षात्कार विधा को नई दिशा दी है। नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1927 को जीयनपुर (अब चंदौली) वाराणसी में हुआ था। उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान से भी नवाजा गया है।नामवर सिंह ने साहित्य में काशी विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की। उसके बाद इसी विश्वविद्यालय में पढ़ाने का कार्य भी किया। काफी लंबे समय तक एक प्रोफेसर के जगह रह कर सेवाएं दी। उनकी छायावाद, नामवर सिंह और समीक्षा, आलोचना और विचारधारा जैसी किताबें काफी लोकप्रिय रही थी।बता दें कि नामवर सिंह जी का वाराणसी जिले (अब चंदौली) के जीयनपुर नामक गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म 28 जुलाई, 1926 को हुआ था। उन्होंने 1941 में कविता से लेखक जीवन का आरम्भ किया था। उनकी पहली कविता 1941 में ‘क्षत्रियमित्र’ पत्रिका (बनारस) में प्रकाशित हुई थी, जो बहुत लोकप्रिय रही थी।आलोचना में उनकी किताबें पृथ्वीराज रासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, कहानी नई कहानी, कविता के नये प्रतिमान, दूसरी परंपरा की खोज, वाद विवाद संवाद आदि मशहूर है। उनका साक्षात्कार ‘कहना न होगा’ भी साहित्य जगत में मशहूर रही थी।साथ ही उन्होंने ने सागर विश्वविद्यालय में भी अध्यापन का काम किया, लेकिन सबसे लंबे समय तक उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्याल में काम किया था। इसके बाद रिटायर होने पर वे एमिरिटेस प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाना शुरु कर दिया था ।नामवर सिंह के व्यक्तित्व की यही खूबी है। हर खूबी के कुछ फायदे होते हैं तो कुछ नुकसान भी होते है। अपनी इन खूबी के लिए उन्हें काफू नुकसान भी उठाने पडे थे। नामवरजी को बनारस में काफी विरोध झेलना पड़ा, हालांकि यह विरोध तुलसी और आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने भी झेला था।https://www.abstarnews.com/2019/02/20/%E0%A4%86%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%A8%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%86%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AE-%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%B5%E0%A4%BE/