1 अग्नि की उड़ान एपीजे अब्दुल कलाम की आत्मकथा है जिसमें एपीजे अब्दुल कलाम के बचपन से लेकर उनके पूरे जीवन सफर के बारे में बताया गया है। इस किताब का प्रकाशन 1999 में किया गया था।
2 रिच डैड पुअर डैड बेस्टसेलर किताब मानी जाती है। विश्व भर में इस किताब ने काफी ज्यादा प्यार हासिल किया। इस किताब में आपको जीवन में अमीर और सफल बनने के उपायों के बारे में बताया गया है।
3 सोचिए और अमीर बनिए किताब के लेखक का नाम नेपोलियन है जिन्होंने जीवन में सफलता हासिल कर और अमीर बनने के तरीकों के बारे में बताया है।
4 जैसा तुम सोचते हो, किताब के लेखक जेम्स एलेन हैं। इस किताब के कवर में आपको एक आधी भरी और आधी खाली गिलास दिखाई देगी। इस किताब में वे यह कहना चाहते हैं कि लोगों का दृष्टिकोण उनके व्यवहार, उनके कार्य और जीवन में सफलता हासिल करने में काफी ज्यादा निर्भर करता है क्योंकि कुछ लोग एक गिलास को खाली देखते हैं तो वही कुछ लोग उसी गिलास को आधा भरा देखते हैं।
5 विटामिन जिंदगी के लेखक ललित कुमार है। यह हिंदी की काफी लोकप्रिय किताब मानी जाती है। इस किताब को तीन भागों में बांटा गया है जिसमें गिरना, संभलना और उड़ना शामिल है।
6 जीवन उजागर किताब भी एक हिंदी पुस्तिका है जो कि स्नेह लता के द्वारा लिखी गई है यह किताब मुख्यतः काव्यात्मक किताब है।
7 सोच बड़ी कामयाबी, के लेखक डेल कारनेगी है जिन्होंने अपनी किताब में कम्युनिकेशन यानी कि संचार और अपनी बातों को दूसरे के सामने रखने के तरीकों के बारे में बताया है।
8 लोक व्यवहार प्रभावशाली व्यक्तित्व भी डेल कारनेगी के द्वारा लिखी गई है। यह उनकी पुस्तक हाउ टो विन फ्रेंड्स एंड इनफ्लुएंस पीपल का हिंदी अनुवाद है।
9 टाइम मैनेजमेंट, किताब में लेखक सुधीर ने समय प्रबंधन के कई सिद्धांतों के बारे में बताया है।
10 मधुशाला, हरिवंश राय बच्चन की काव्यात्मक किताब है। इस किताब में कविताओं के जरिए कई मुद्दों की चर्चा की गई है।
पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें - 10 Most Motivational Books in Hindi
Alexandra Daddario Movies Hindi Dubbed: एलेक्जेंड्रा डैडारियो हॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री की सबसे खूबसूरत और टैलेंटेड एक्ट्रेसो में से एक हैं जिहोने अपनी कमाल की एक्टिंग से हॉलीवुड कई हिट फिल्मे दी है और नीले समुंदर के जैसी नीली आँखों के कारण वह हमेशा सुर्खियों में बनी रहती है इतना ही नहीं, उनके चेहरे की सूंदर मुस्कान ने लाखो करोड़ो लोगो को अपना दीवाना बना रखा हुआ हैं। एलेक्जेंड्रा डैडारियो को दुनिया की 30 सबसे खूबसूरत एक्ट्रेस में से एक माना जाता हैं.
इस आज मैं उनके फैनस के लिए टॉप 5 बेस्ट एलेक्जेंड्रा डैडारियो मूवीज हिंदी (Top 5 Best Alexandra Daddario Hindi) की लिस्ट लाया हूँ.Read more HereArticle Sourced By WWW.SNAPPYMOVIE.COM
नामवर सिंह ने कल रात तकरीबन 11.50 बजे आखिरी सांस ली। 92 साल की उम्र में छोड़ा साथ, करीब एक महीने से दिल्ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर में नामवर सिंह ब्रेन हैमरेज की वजह से लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे।नामवर सिंह हिंदी साहित्य जगत का मशहुर सम्मानित नाम हैं। उन्होंने आलोचना और साक्षात्कार विधा को नई दिशा दी है। नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1927 को जीयनपुर (अब चंदौली) वाराणसी में हुआ था। उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान से भी नवाजा गया है।नामवर सिंह ने साहित्य में काशी विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की। उसके बाद इसी विश्वविद्यालय में पढ़ाने का कार्य भी किया। काफी लंबे समय तक एक प्रोफेसर के जगह रह कर सेवाएं दी। उनकी छायावाद, नामवर सिंह और समीक्षा, आलोचना और विचारधारा जैसी किताबें काफी लोकप्रिय रही थी।बता दें कि नामवर सिंह जी का वाराणसी जिले (अब चंदौली) के जीयनपुर नामक गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म 28 जुलाई, 1926 को हुआ था। उन्होंने 1941 में कविता से लेखक जीवन का आरम्भ किया था। उनकी पहली कविता 1941 में ‘क्षत्रियमित्र’ पत्रिका (बनारस) में प्रकाशित हुई थी, जो बहुत लोकप्रिय रही थी।आलोचना में उनकी किताबें पृथ्वीराज रासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, कहानी नई कहानी, कविता के नये प्रतिमान, दूसरी परंपरा की खोज, वाद विवाद संवाद आदि मशहूर है। उनका साक्षात्कार ‘कहना न होगा’ भी साहित्य जगत में मशहूर रही थी।साथ ही उन्होंने ने सागर विश्वविद्यालय में भी अध्यापन का काम किया, लेकिन सबसे लंबे समय तक उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्याल में काम किया था। इसके बाद रिटायर होने पर वे एमिरिटेस प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाना शुरु कर दिया था ।नामवर सिंह के व्यक्तित्व की यही खूबी है। हर खूबी के कुछ फायदे होते हैं तो कुछ नुकसान भी होते है। अपनी इन खूबी के लिए उन्हें काफू नुकसान भी उठाने पडे थे। नामवरजी को बनारस में काफी विरोध झेलना पड़ा, हालांकि यह विरोध तुलसी और आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने भी झेला था।https://www.abstarnews.com/2019/02/20/%E0%A4%86%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%A8%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%86%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AE-%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%B5%E0%A4%BE/
नागरिकों को समानता का अधिकार प्राप्त होने के बावजूद भी वर्तमान में हालात ऐसे हैं कि प्रत्येक क्षेत्र में असमानता ही देखने को मिलती है। कम होने के बजाए यह दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है जो एक दयनीय मुद्दा है। यदि हम गतवर्षों की बात करें तो 2014 में दुनिया में सबसे अमीर एक प्रतिशत जनसंख्या के पास दुनिया की 48% दौलत थी, जबकि सबसे निचले स्तर पर मौजूद 80% लोगों के पास कुल मिलाकर दुनिया की सिर्फ 6% दौलत थी। यह असंतुलन तब और भी स्पष्ट हो जाता है, जब हम देखते हैं कि सिर्फ 80 व्यक्तियों के पास इतनी दौलत है जितनी दुनिया भर में सबसे कम आय वाले 3.5 अरब लोगों के पास है। औसत आय में असमानता 1990 और 2010 के बीच विकासशील देशों में सिर्फ 11% ही बढ़ी। भारत के लिए आय में असमानता का गिनि कोएफिशिएंट 2010 में 36.8% था, जो घटकर 2015 में 33.6% रह गया। सबसे कम विकसित देश, भूमि से घिरे विकासशील देश और छोटे द्वीपीय विकासशील देश गरीबी कम करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। किन्तु इन देशों में स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेवाओं तथा अन्य परिसंपत्तियों की सुलभता में भारी विषमताएं हैं। देशों के बीच आय में असमानता भले ही कम हुई हो, लेकिन देशों के भीतर असमानता लगातार बढ़ रही है। आंकड़ों के अनुसार 2000 के दशक के अंतिम वर्षों में दक्षिण एशिया में सबसे दौलतमंद जनसंख्या के बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने की संभावना सबसे गरीब वर्गों के बच्चों की तुलना में दोगुनी अधिक थी। लैटिन अमरीका और पूर्व एशिया में सबसे गरीब परिसंपत्तियों वाले वर्गों में पांच वर्ष की आयु से पहले ही बच्चों की मृत्यु की आशंका सबसे अमीर वर्गों के बच्चों की तुलना में तीन गुना अधिक है। #2030 के सतत विकास के इस लक्ष्य के अंतर्गत यह संकल्प लिया गया है कि असमानता कम करने के लिए नीतियां सिद्धांत रूप में सार्वभौमिक होनी चाहिए जिनमें लाभों से वंचित और हाशिए पर जीती जनसंख्या की जरूरतों पर ध्यान दिया जाए। समावेशन को सामाजिक के साथ-साथ राजनीतिक क्षेत्रों में भी सभी आयु, लिंग, धर्म और जातीय समाजों में सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए जिससे देशों के भीतर समानता की परिस्थितियां पैदा हो सकें। जनधन-आधार-मोबाइल कार्यक्रम पर भारत सरकार जितना बल दे रही है, उसका उद्देश्य समावेशन, वित्तीय सशक्तिकरण और सामाजिक सुरक्षा की एक समग्र रणनीति है। ये सभी प्राथमिकताएं 2030 तक सबके लिए समानता हासिल करने और सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समावेशन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्यों के अनुरूप हैं। इस लक्ष्य के चलते यह भी सुनिश्चित किया गया है कि भारत वर्ष के प्रत्येक व्यक्ति को अन्य व्यक्ति के समान ही अधिकार प्राप्त हो। इसके साथ ही विकलांगता, जातीयता, मूल धर्म, आर्थिक अथवा किसी अन्य भेदभाव के बिना प्रत्येक व्यक्ति के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना तथा परिणाम की असमानताएँ कम करना भी शामिल है।Share this: