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वास्तु की नजर से आपका ऑफिस - वास्तुविद् रविन्द्र दाधीच

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वास्तु की नजर से आपका ऑफिस - वास्तुविद् रविन्द्र दाधीच

 

वास्तु की नजर से आपका ऑफिस - वास्तुविद् रविन्द्र दाधीच

वास्तु शास्त्र प्राचीन भारत का एक बेशकीमती खजाना है। वास्तु की उत्पत्ति पुराणों से हुई है और इसका मूल वैदिक दर्शन में पाया गया है। वास्तुशास्त्र के आधारभूत सिद्धातों को 18 ऋषियों ने प्राचीन काल में ही प्रतिपादिक कर दिया था। हम अपने ऑफिस में इस बेशकीमती खजाने का प्रयोग कर अपने बिजनेस और ऑफिस की तरक्की में चार चांद लगा सकते है। ऑफिस को भी वास्तु के अनुसार ही बनाना चाहिए। प्रत्येक ऑफिस के निर्माण के समय दुकान, भूमि का चयन, कारखाने और कॉम्प्लैक्स आदि को बनवाने से पहले वास्तु के नियमों का पालन करने से कार्य सुगमता से पूर्ण होते हैं। 


वास्तु के कुछ सामान्य नियम जैसे कि - आपके ऑफिस का आकार कैसा होना चाहिए, कंपनी के M.D cabin, HR cabin, प्रवेश मुख्य द्वार, आकाउन्ट्स , रिशेप्शन, पूजा घर, मीटिंग रुम, और वर्क स्टेशन की व्यवस्था किस प्रकार होनी चाहिए। यह सब कुछ आपका वास्तु ही तय करता है। 

इसी प्रकार ऑफिस की वस्तुएं जैसे पावर रुम, जेनरेटर, पेय जल व्यवस्था, कर्मचारियों के बैठने वाला रुम , मुख्य कर्मचारी का रुम, ब्रह्म स्थान इत्यादि कहां पर होने चाहिए। यह सब कुछ वास्तु के अनुसार ही होने चाहिए। तभी आपके ऑफिस की आर्थिक गतिविधियों में तेजी और धन संचय में सफलता प्राप्त होगी। इसके साथ की ऑफिस की तरक्की , सफलता, लाभ, ऑफिस के कर्मचारियों में समन्जस, प्रसिद्धि, निवेशकों की आवक, ग्राहक संतुष्ठी, कर्मचारियों का स्थायित्व। इन सभी में वास्तु का विशेष योगदान होता है। तभी आप अपने बिजनेस को नयी उड़ान देने में सक्षम होंगे।  

                        

 वास्तु अनुसार कैसा होना चाहिए आपका ऑफिस - 

वास्तु आर्ट विशेषज्ञों (Vastu Art expert) के मत के अनुसार सफलता प्राप्त करने के लिए कार्यालय (Office) को आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी (पंचमहाभूतों) के अनुरूप होना चाहिए। यदि ऑफिस के निर्माण के समय आपने इन बातों का ध्यान रख लिया तो सफलता प्राप्त करने में सहायक होते हैं।

किसी भी व्यावसाय या ऑफिस बनाते समय यदि वास्तुशास्त्र की कुछ बातों का ध्यान दिया जाए। तो यह आपके आने वाले भविष्य को उज्जवल बनाने में बहुत ही मददगार साबित होगा। 


ऑफिस के लिए वास्तुशास्त्र के नियम क्यों महत्वपूर्ण है ?

आज के समय में हर किसी का सबसे अधिक समय ऑफिस के काम-काज में गुजरता है। फिर चाहे वह महिला कर्मचारी हो या फिर पुरुष कर्मचारी। ऑफिस एक ऐसा धन अर्जित करने का स्थान होता है। जिससे हम अपने जीवन को सुचारु रुप से चलाते हैं। वास्तु विशेषज्ञों के नियम के मत के अनुसार घर निर्माण में जितना महत्व वास्तु का होता है। उससे ज्यादा महत्व ऑफिस निर्माण में वास्तुशास्त्र का होना चाहिए। इसलिए ऑफिस बनवाते समय हर किसी को वास्तु के नियमों का सही से पालन कर ऑफिस की तरक्की का रास्ता शुरु में हो खोल लेना चाहिए। 


ऑफिस निर्माण के पूर्व कुछ खास वास्तु टिप्स - 

ऑफिस निर्माण करते समय मुख्य द्वार किस दिशा में हैं अर्थात ऑफिस का मुख्य द्वार सभी दिशाओं में हो सकते हैं। परंतु वह सही पद और सही जोन में होना चाहिए । इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए। इसके लिए आप किसी अच्छे वास्तुशास्त्री से परामर्श कर सकते हैं। 


ऑफिस में बनी कैविनों के द्वार उच्च कोटि के हिसाब से होने चाहिए। 


ऑफिस की दीवारों में कौन सा रंग होना चाहिए। इसके लिए वास्तु के विशेष सिद्धांत हैं। कि किस दिशा की दीवार में कौन से रंग करने चाहिेए। सामान्यतः वास्तु के अनुसार ऑफिस की दीवारों में सफेद, क्रीम और पीले रंग करवाने का सिद्धांत है। हल्के रंग की पीछे यह वैज्ञानिक कारण है। कि यह मानसिक शांति प्रदान करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह निरंतर बनाए रखते हैं।

 

ऑफिस में पानी (पेयजल) की व्यवस्था मुख्य रुप से ईशान कोण उत्तर पूर्व (NE) दिशा में ही करनी चाहिए। इस संयोजन में आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। 

ऑफिस के मुख्य द्वारा के सम्मुख कभी भी किसी प्रकार का वेध नही होना चाहिए। अर्थात ऑफिस के सम्मुख वृक्ष, नाली, कीचड़, मंदिर, कुआं, वोरिंग, गढ्ढ़ा, बिजली का खंबा, कचरा इत्यादि नही होना चाहिए। ऐसी आपको कोशिश करनी चाहिए । क्योंकि यह आपके ऑफिस में आने वाली सकारात्मक ऊर्जा को बाधिक कर सकते हैं। 


कंपनी मालिक के ऑफिस में बैठने की स्थिति - ऑफिस (कंपनी) ओनर या (MD) के बैठने की स्थिति उत्तर दिशा या पूर्व में मुंह हो तो इसको वास्तु की दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है। कंपनी मालिक (एमडी) को कभी भी मुख्य द्वार की ओर पीठ करके नही बैठना चाहिए। परंतु वास्तु और ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुण्डली के आधार पर कंपनी ओनर के बैठने की व्यवस्था का भी विधान है। अर्थात कंपनी ओनर किस तरफ मुंह करके बैठे यह उसकी जन्म कुण्डली में स्थित ग्रहों की दशा ,महादशा एवं अंतर्दशा के आधार पर भी तय कर सकते हैंं।


हर ऑफिस के ओनर या बॉस की इच्छा होती है। कि उसकी कंपनी या फैक्ट्री दिन प्रतिदिन उन्नति करें और ऊंचाईयों तक पहुंचे । कर्मचारियों के बीच आपस में किसी भी प्रकार का द्वेष न हो। तो इसके लिए ऑफिस के मुख्य द्वार पर, शुभ चिन्ह गणेश जी की प्रतिमा, फिर स्वास्तिक का निशान, ऊँ, मांगलिक चिन्ह जरुर लगाएं। 


ऑफिस या कॉमर्शियल कॉम्प्लैक्स में लॉन का निर्माण पूर्व तथा उत्तर दिशा में ही करवाना चाहिए। और पार्किंग को वायु कोण, अग्निकोण, में रखना चाहिए। पश्चिम या दक्षिम में भी लॉन बना सकते हैं। परंतु दक्षिण से ज्यादा उत्तर खाली होना चाहिए और पश्चिम से ज्यादा पूर्व में खाली होना चाहिए। 


इलैक्ट्रिक पैनल आग्नेय (SE) कोण या वायव्य (NW) व दक्षिण दिशा में भी कर सकते हैं। 


ऑफिस में पानी का निकास - ऑफिस एवं फैक्ट्रियों में पानी की निकासी ईशान कोण की तरफ करना चाहिए। पानी का निकास पूर्व या उत्तर की तरफ भी किया जा सकता है। 


खिड़कियों की स्थिति व संख्या - ऑफिस में खिड़कियां दक्षिण-पश्चित (SW) की तरफ नही होनी चाहिए। अन्य सभी दिशाओं में होना चाहिए। वास्तु के इस सिद्धांत को जरुर लागू करना चाहिए। परंतु उत्तर व पूर्व की तरफ ज्यादा खिड़कियां होनी चाहिए। तथा दक्षिण दिशा में सबसे कम खिड़कियां होनी चाहिए। ऑफिस में खिड़कियों की संख्या सम होनी चाहिए। 


नोट - ऑफिस (कंपनी) के स्वामी कि कुण्डली में यदि राहु बलवान है। तो दक्षिण दिशा में ऑफिस का मुंह होने पर लाभकारी होता है। और शनि बलवान हो तो पश्चिम में भी कर सकते हैं। 

 

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