#2030 के भारत के सतत विकास के महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक है उत्कृष्ट कार्य तथा आर्थिक वृद्धि। उत्कृष्ट कार्य का सीधे तौर पर आशय अच्छे गुण से युक्त कार्य से है। इस लक्ष्य का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारी सीरीज के पॉइंट 4 से नाता है, क्योंकि उत्कृष्ट कार्य करने के लिए कहीं न कहीं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता होती ही है। यदि हम इस विषय के इतिहास की बात करें, तो दुनियाभर में वार्षिक आर्थिक वृद्धि सन् 2000 में 3% थी, जो घटकर 2014 में 1.3% रह गई। वैश्विक बेरोजगारी 2007 में 17 करोड़ से बढ़ते-बढ़ते 2012 में करीब 20.2 करोड़ हो गई, जिसमें से करीब 7.5 करोड़ युवतियां और युवक थे। इस धीमी और असामान्य प्रगति को देखते हुए प्रशासन ने यह निश्चय किया कि गरीबी मिटाने की हमारी आर्थिक और सामाजिक नीतियों पर नए सिरे से सोचकर नए साधनों का सहारा लेना होगा। सतत् विकास एजेंडा का मूल मंत्र है ‘कोई पीछे छूटने न पाए’। साथ ही ‘सभी को मिले काम, ऐसा हो अर्थव्यवस्था में सुधार’ मोटो को अपनाकर इस लक्ष्य के लिए प्रशासन प्रतिबद्ध है। 10 और 24 वर्ष की आयु के बीच 36 करोड़ से अधिक युवाओं के साथ भारत में दुनिया की सबसे युवा आबादी निवास करती है। इस डेमोग्राफिक प्रॉफिट के उपयोग पर ही देश के लिए संपन्न और जानदार भविष्य की रचना का सारा दारोमदार है। किन्तु उच्चतर शिक्षा में भारत का सिर्फ 23% का सकल भर्ती अनुपात दुनिया में सबसे कम अनुपातों में से एक है। भारत में श्रम शक्ति हर वर्ष 80,00,000 से अधिक बढ़ जाने का अनुमान है और देश को अब से लेकर 2050 तक 28,00,00000 रोजगार जुटाने की जरूरत होगी, जिसके परिणाम स्वरुप उपरोक्त मौजूदा स्तरों में एक-तिहाई वृद्धि होगी। उत्कृष्ट कार्य तथा आर्थिक वृद्धि लक्ष्य का उद्देश्य 2030 तक हर जगह सभी पुरुषों और महिलाओं के लिए पूर्ण एवं उत्पादक रोजगार हासिल करना, युवाओं के लिये रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना, क्षेत्रों, आयु समूहों और लिंग के आधार पर असमानता को कम करना, अनौपचारिक रोजगारों में कमी करना, सभी श्रमिकों के लिये सकुशल और सुरक्षित कार्य वातावरण को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत यह भी सुनिश्चित किया गया है कि #2030 के भारत में अक्षम या अपंग व्यक्तियों सहित सभी लोगों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए और साथ ही बाल श्रम को भी खत्म किया जाए। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन, दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना, राष्ट्रीय सेवा योजना और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना जैसे सरकार के कुछ प्रमुख कार्यक्रमों का उद्देश्य सभी के लिए उत्कृष्ट कार्य जुटाना है।
हमारा केंद्र ( Shri Shuddhi deaddiction centre bhopal) श्री शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र मारक्यु विकास एवं कल्याण समिति द्वारा संचालित नशा मुक्ति केंद्र है, जो की मध्य प्रदेश शासन के सामजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग (Social Justice and Disability Welfare Department Madhya Pradesh) द्वारा मान्यता प्राप्त (*Govt.Approved*) है। हमारे केंद्र में किसी भी तरह का नशा करने के आदी व्यक्ति को प्रेमपूर्ण माहौल में रखकर अमेरिका के कार्यक्रम “एलकोहोलिक्स एनोनिमस (Alcoholics Anonymous) एवं नारकोटिक्स एनोनिमस (Narcotics Anonymous)” तथा योग, ध्यान, मनोवैज्ञानिक उपचार, ग्रुप थैरेपी (Group Therapy), पंचकर्म तथा मेडिकल ट्रीटमेंट के संयोजन से बनाये गए कार्यक्रम की सहायता से नशे से पूर्ण छुटकारा दिलवाया जाता है। अमेरिका के “ऐल्कोहोलिक्स एनोनिमस तथा नारकोटिक्स एनोनिमस” कार्यक्रम की मदद से विश्व में पचास लाख से ज्यादा लोग नशे से दूर हो चुके है। ये नशा मुक्ति हेतु सबसे प्रभावी कार्यक्रम है।
आज देश के पहले चीफ ऑफ़ डिफेन्स का ऐलान हो सकता है।देश की केंद्र सरकार आज इसका ऐलान कर सकती है। विपिन रावत इस दौड़ में सबसे आगे चल रहे है। ❍ क्या है चीफ ऑफ़ डिफेन्स ?चीफ ऑफ़ डिफेन्स यानि की तीनो सेनाओ थल सेना(आर्मी ) ,जल सेना(नेवी) और वायु सेना(एयरफोर्स ) के बीच तालमेल बिठाने के लिए और य सिंगल पॉइंट आदेश देने के लिए चीफ ऑफ़ डिफेन्स(सीडीस) बनाया जा रहा है। इसकी रिपोर्टिंग सीधे पीमओ(PMO) ऑफिस को होगी। इस पद पर काम करने वाले अधिकारी का कार्यकाल तीन साल का होगा। वह 65 की उम्र में रिटायर हो जायेगा। ❍ कब जरुरत महसूस हुई सीडीस की?
1999 कारगिल युद्ध के दौरान इस पद की जरुरत महसूस हुई क्योकि अगर यह पद उस समय होता तो कारगिल युद्ध इतना लम्बा न चलता और इतने देश के जवान उस समय शहीद न हुए होते। उस समय की तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने 2001 में उस समय देश के तत्कालीन उपप्रधानमंत्री श्री लाल कृष्ण अडवाणी ने अध्यक्ष के रूप में एक ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर ने इस पद की सिफारिश की थी। लेकिन तीनो सेनाओ के बीच तालमेल न होने के कारण यह सिफारिश ठंडे बस्ते में डाल दी गयी। ❍ प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त के दिन घोषणा की हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंदर मोदी जी ने 15 अगस्त 2019 को लाल किले से आज़ादी वाले दिन इस पद की घोषणा की थी। लगभग 20 साल बाद यानि जो कदम वाजपेयी सरकार के समय में होना था अब वह मोदी सरकार के समय होने जा रहा है। अधिक जानकारी के लिए: https://www.flypped.com/first-chief-of-defense-can-be-announced-today/hindi/
आप कहेंगे पहले गाँव आया फिर शहर, बिलकुल सही बात है। गाँव का निर्माण पहले हुआ है उसके बाद ही शहर अस्तित्व में आया। परन्तु यह दुखद है कि शहर के मुक़ाबले गाँव पिछड़ता चला गया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी ने कहा था कि ‘‘भारत की आत्मा गाँव में बसती है’’। भारत गाँवों का देश है। उन्होंने अपने सपनों के भारत में गाँव के विकास (Rural Devlopment) को प्रमुखता दी थी। जैसा कि आप सभी भी जानते हैं, गाँव हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के स्रोत एवं केंद्र रहे हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथों, वेदों, पुराणों, स्मृतियों में भी ग्रामीण जीवन का विस्तार से उल्लेख है। गाँधीजी ने अपने सपनों के भारत में अपनी व्यापक दृष्टि का परिचय देते हुए तमाम स्थानीय आवश्यकता पूर्ति के लिए ग्रामीण विकास और पंचायती राज (Rural Development and Panchayati Raj) की महत्ता प्रदान की थी। उनका कहना था कि ग्राम स्वराज (Gram Swaraj) से ही भारत के गाँव आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
पिसीओएस (PCOS) या पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम(polycystic ovarian syndrome) अंडाशय को प्रभावित करने वाली एक हार्मोनल (hormonal) स्थिति है। सामान्य मासिक धर्म चक्र(menstural cycle) में, आमतौर पर लगभग 7-8 के आसपास फॉलिकल (follicles) होते हैं जो बढ़ने लगते हैं और इनमें से एक फॉलिकल (follicle) अंडे को छोड़ने के लिए परिपक्व होगा। हालांकि, पीसीओएस से प्रभावित महिला में, एफएसएच (FSH) और एलएच (LH) हार्मोन(hormone) में असंतुलन होता है और एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) का अधिक उत्पादन होता है, जिसकी वजह से कोई भी अंडा (egg) परिपक्व नहीं होता है, जिससे एनोव्यूलेश(anovulation) के कारण बच्चा ठहरने में मुश्किल आती है ।(PCOS) का कारण क्या होता है ?
पीसीओएस(pcos) का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन हम जानते हैं कि पैरेंटल जीन्स (parental genes) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। PCOS विकसित होने की अधिक संभावना होती है, अगर उनके परिवार में डायबिटिक (diabetic)जीन (gene)पायी जाती है | एण्ड्रोजन हार्मोन(androgen hormone)(जो कि एक पुरुष हार्मोन है) का अधिक मात्रा में होना (overproduction) भी पीसीओएस (pcos) में कारण हो सकता है। पीसीओएस में महिलाओं में अक्सर एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) का लेवल नार्मल मात्रा से अधिक मात्रा में पाया जाता है । यह ओवुलेशन(ovulation) के दौरान अंडे के विकास और उसके रिलीज(release) को प्रभावित कर सकता है। इंसुलिन हार्मोन (insulin hormone)(एक हार्मोन जो शुगर(sugar) और स्टार्च(starch) को एनर्जी (energy) में बदलने में मदद करता है) एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) के बढ़े हुए लेवल का कारण भी होता है। एक डॉक्टर को आपको कब दिखाना चाहिए?यदि आप पीसीओएस (pcos) के इन लक्षणों में से किसी भी लक्षण से पीड़ित हैं| PCOS महिलाओं के उम्र की तीनों अवस्थाओं को प्रभावित करता है | 1-किशोरावस्था के दौरान: (young age) मुंहासे, चेहरे पर अत्यधिक बाल आना और अनियमित पीरियड्स होते हैं।2-प्रजनन आयु के दौरान (reproductive age) पॉलीसिस्टिक अंडाशय(ovaries) के साथ बांझपन की दर(percentage) बहुत अधिक है। इन महिलाओं को आमतौर पर गर्भवती होने में कठिनाई होती है और आमतौर पर गर्भधारण के अवसरों में सुधार के लिए उपचार(treatment) की आवश्यकता होती है।जिन महिलाओं में पीसीओएस की वजह से गर्भधारण करने में मुश्किल हो रही है उन्हें एक प्रजनन चिकित्सक (infertility specialist) से परामर्श करना चाहिए जो पीसीओएस को ठीक से समझता है। बांझपन और गर्भावस्था में मधुमेह (gestational diabetes) की संभावना अधिक होती है। 3- 30-40 के बाद: -(old age)ऐसी महिलाओं के लिए मधुमेह, हृदय रोग, गर्भाशय के कैंसर,के लिए 5 गुना बढ़ा हुआ जोखिम होता है| एक अध्ययन(studies) से पता चला है कि भारत में लगभग 18% महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित हैं और बढ़ते मोटापे के कारण यह समस्या और बढ़ती जा रही है।पीसीओएस में गर्भधारण के इलाज को तीन steps में किया जा सकता है जैसे – १- पहला इलाज़ जिसमें महीने के दूसरे या तीसरे दिन से अंडा बनाने की दवाई खिलाकर अल्ट्रासाउंड के जरिये अंडे की वृद्धि को देखते हुए महिला को दिन बता दिए जाते हैं जब हस्बैंड (husband) और( wife) को साथ में रहना होता है |२-अगर पहले इलाज से गर्भधारण नहीं हो पाता तो IUI (intra uterine insemination) के द्वारा गर्भधारण कराया जा सकता है जिसमें कि अंडा बनने पर हस्बैंड (husband) के शुक्राणुओं को लैब (andrology lab) में तैयार करके बच्चेदानी में एक पतली नली के द्वारा डाल दिया जाता है | यह एक दर्दरहित प्रोसीजर (procedure) होता है जिसे करने में सिर्फ ५-१० मिनट ही लगते हैं | ३- आखिरी इलाज IVF (in vitro fertilization) होता है जो कि तब किया जाता है जब पहले सारे इलाज करने के बावजूद गर्भधारण करने में असफलता प्राप्त होती है |IVF में अंडा बनाने के लिए दवाई की जगह इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है ताकि अंडों की अधिक मात्रा में प्राप्ति हो | जिससे हमें एक बार में ही अधिक भ्रूण मिलने की सफलता प्राप्त हो | यह इंजेक्शन १०- १२ दिन लगते हैं और बारहवें दिन जब सारे अंडे mature हो जाते हैं तब , अल्ट्रासाउंड (ultrasound) के जरिये देखते हुए अण्डों को निकाल लिया जाता है | यह बिलकुल दर्दरहित होता है और आपको ३-४ घंटे भर्ती किया जाता है | इसके बाद लैब में भ्रूण बनाया जाता है , जिसे ३-५ दिन बाद बच्चेदानी में डाल दिया जाता है | IVF में इंजेक्शन के अलावा और कहीं भी इस प्रक्रिया में कोई दर्द नहीं होता |हालाँकि, आपको यह ध्यान रखना है कि प्रत्येक मरीज अलग होता है और स्थितियाँ एक मामले से दूसरे मामले में भिन्न हो सकती हैं। इसलिए किसी भी तरह के निष्कर्ष पर जाने से पहले एक अच्छे डॉक्टर की राय लें।ज्यादा जानकारी के लिए और आपकी सहायता करने के लिए हमारे ORIGYN FERTILITY AND IVF CENTRE पर संपर्क करेंहमारे चिकित्सक आपकी हर तरह से सहायता करने के लिए तत्पर हैं |
कानून अथवा लॉ का प्रोफेशन बेहद संवेदनशील एवं जिम्मेदारी का प्रोफेशन है जो समाज व देश निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।अगर आप लॉ की फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले एक प्रतिष्ठत संस्थान की तलाश होगी। आपके लिए एसजीटी यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी एक बेहतर विकल्प हो सकती है।एसजीटी यूनिवर्सिटी की लॉ फैकेल्टी (विधि संकाय) की स्थापना वर्ष 2014 में विभिन्न सामाजिक (सोशल)एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि (कल्चरल बैकग्राउंड) से आने वाले छात्रों को गुणवत्तापूर्ण कानूनी शिक्षा प्रदान करने के मिशन के साथ की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को समृद्ध अकादमिक वातावरण प्रदान करना है, जिससे अधिक से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रबुद्ध व मेहनती लॉ प्रोफेशनल्स तैयार हो सकें।क्यों चुने एसजीटी यूनिवर्सिटीकीफैकल्टीऑफ लॉ कोएसजीटी विश्वविद्यालय की लॉ फैकेल्टी उच्चतम गुणवत्ता वाली कानूनी शिक्षा देनेके लिए प्रतिबद्ध है। यहां देश-दुनिया के प्रतिष्ठितविश्वविद्यालयोंकेअनुभवीशिक्षक अपनी सेवाएं देते हैं। यहां के पाठ्यक्रमको नेशनललॉयूनिवर्सिटी के साथकोलेबरेशन में बनाया गया है। यह फैकेल्टी लाइव केस हैंडलिंग केअनुभव के लिए प्रतिष्ठित लॉयर्सएवं लॉ फर्मों के साथ इंटर्नशिप का अवसर प्रदान करता है। यहां वैश्वीक (ग्लोबल) की कानूनी समझ विकसित करने के लिए विदेशी कानूनी प्रणाली (फॉरेन लॉ सिस्टम) की पढ़ाई भी करायी जाती है। यहां छात्रों को सेमिनारों, सम्मेलनों, मूट कोर्ट व इंटरैक्टिव सेशन्स में बड़े कानून विशषज्ञों के साथ सीधे इंटरेक्शन का मौका मिलता है।इसका भारतीय राष्ट्रीय बार एसोसिएशन व CIRCजैसे संस्थानों के साथ कॉलेबरेशन है।यहां न्यायिक सेवाओं (लॉ सर्विसेज) और सिविल सेवाओं (सिविल सर्विसेज) की परीक्षा के लिए इन बिल्ट कोचिंग मॉड्यूल भी उपलब्ध है।कोर्स एवं कार्यक्रम एसजीटी यूनिवर्सिटी का लॉ फैकेल्टी निम्नलिखित कोर्स/प्रोग्राम ऑफर करता है-BA LLB (Hons.
)Bachelor of Law (LLB)Masters of LawPh.D in Law एसजीटी यूनिवर्सिटी के लॉ फैकेल्टी के इंडस्ट्रीयल टाई-अपविधि संकाय (लॉ फैकेल्टी) ने निम्नलिखित व्यावसायिक संघों / संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं:इंडियन नेशनल बार एसोसिएशन, नई दिल्ली।सीयूटीएस इंस्टीट्यूट फॉर रेगुलेशन एंड कॉम्पिटिशन (CIRC), नई दिल्ली।इंडस्ट्री ओरिएंटेडस्पेशल कोर्सएसजीटी यूनिवर्सिटी की लॉ फैकेल्टी कुछ चुनिंदा लॉ स्कूलों में से एक है जो एक ट्राइमेस्टर पैटर्न प्रदान करते हैं, जिसमें एक छात्र को एक वर्ष में तीन बार इंटर्नशिप का अवसर मिलता है। जिससे 5 साल की डिग्री प्रोग्राम के अंत में 15 इंटर्नशिप करने के बाद छात्र प्रोफेशनल सेवाओं के लिए पूरी तरह तैयार होता है।सेमेस्टर / वर्षों में विभाजित विशेष ऐड-ऑन कोर्सलॉ फैकेल्टी छात्रों को आनर्स के चयन में पूरी आजादी देता है। कोई भी छात्र कॉरपोरेट लॉ, इंटरनेशनल ट्रेड लॉ, कांस्टीट्यूशनल लॉ या क्रिमिनल लॉ में विशेषज्ञता का चयन अपनी इच्छा और करियर के विकल्पों के आधार पर कर सकता है। अंतिम वर्ष में छात्रों को निम्नलिखित विशेष पाठ्यक्रमों की पेशकश की जाती है जैसे:अमेरिकी लॉ सिस्टम, यूरोपीय यूनिय लॉ, इंग्लिश लिगल सिस्टम और एक विदेशी भाषा (फ्रेंच या जर्मन)।लॉ की पढ़ाई के बाद करियर की क्या हैं संभावनाएं?लॉ की पढाई के बाद एकलॉयर के रूप में अपने करियर की शुरूआत करने के अलावालॉ स्नातकों के पास आज कानून के प्रोफेशन में शामिल होने के लिए विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों में लॉ ऑफिसर / लिगलएडवाइजर / लिगल एक्सीक्यूटिव के रूप में काम करने का विकल्प है। बड़े कॉरपोरेट घराने, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों, बैंक, बीमा कंपनियां, एलपीओ और एनजीओ उच्च पैकेज पर लॉ ग्रेजुएट्स कासीधे कैम्पस प्लेसमेंट करते हैं। इसके अतिरिक्त लॉ ग्रेजुएट्स सिविल सर्विसेजमें भी अपनी सेवाएं दे सकते हैं।लॉ फैकेल्टी, एसजीटी यूनिवर्सिटी मानव गरिमा एवं सामाजिक कल्याण (सोशल वेलफेयर) को बढ़ावा देने और जनसामान्य को न्याय प्रदान करने के लिए समर्पित लॉ प्रोफेशनल्स का निर्माण करना चाहता है। साथ ही इसका उद्देश्य विश्व स्तर के लॉ प्रोफेनल्स का निर्माण करना है।
आप कहेंगे पहले गाँव आया फिर शहर, बिलकुल सही बात है। गाँव का निर्माण पहले हुआ है उसके बाद ही शहर अस्तित्व में आया। परन्तु यह दुखद है कि शहर के मुक़ाबले गाँव पिछड़ता चला गया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी ने कहा था कि ‘‘भारत की आत्मा गाँव में बसती है’’। भारत गाँवों का देश है। उन्होंने अपने सपनों के भारत में गाँव के विकास (Rural Devlopment) को प्रमुखता दी थी। जैसा कि आप सभी भी जानते हैं, गाँव हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के स्रोत एवं केंद्र रहे हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथों, वेदों, पुराणों, स्मृतियों में भी ग्रामीण जीवन का विस्तार से उल्लेख है। गाँधीजी ने अपने सपनों के भारत में अपनी व्यापक दृष्टि का परिचय देते हुए तमाम स्थानीय आवश्यकता पूर्ति के लिए ग्रामीण विकास और पंचायती राज (Rural Development and Panchayati Raj) की महत्ता प्रदान की थी। उनका कहना था कि ग्राम स्वराज (Gram Swaraj) से ही भारत के गाँव आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
पिसीओएस (PCOS) या पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम(polycystic ovarian syndrome) अंडाशय को प्रभावित करने वाली एक हार्मोनल (hormonal) स्थिति है। सामान्य मासिक धर्म चक्र(menstural cycle) में, आमतौर पर लगभग 7-8 के आसपास फॉलिकल (follicles) होते हैं जो बढ़ने लगते हैं और इनमें से एक फॉलिकल (follicle) अंडे को छोड़ने के लिए परिपक्व होगा। हालांकि, पीसीओएस से प्रभावित महिला में, एफएसएच (FSH) और एलएच (LH) हार्मोन(hormone) में असंतुलन होता है और एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) का अधिक उत्पादन होता है, जिसकी वजह से कोई भी अंडा (egg) परिपक्व नहीं होता है, जिससे एनोव्यूलेश(anovulation) के कारण बच्चा ठहरने में मुश्किल आती है ।(PCOS) का कारण क्या होता है ?
पीसीओएस(pcos) का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन हम जानते हैं कि पैरेंटल जीन्स (parental genes) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। PCOS विकसित होने की अधिक संभावना होती है, अगर उनके परिवार में डायबिटिक (diabetic)जीन (gene)पायी जाती है | एण्ड्रोजन हार्मोन(androgen hormone)(जो कि एक पुरुष हार्मोन है) का अधिक मात्रा में होना (overproduction) भी पीसीओएस (pcos) में कारण हो सकता है। पीसीओएस में महिलाओं में अक्सर एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) का लेवल नार्मल मात्रा से अधिक मात्रा में पाया जाता है । यह ओवुलेशन(ovulation) के दौरान अंडे के विकास और उसके रिलीज(release) को प्रभावित कर सकता है। इंसुलिन हार्मोन (insulin hormone)(एक हार्मोन जो शुगर(sugar) और स्टार्च(starch) को एनर्जी (energy) में बदलने में मदद करता है) एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) के बढ़े हुए लेवल का कारण भी होता है। एक डॉक्टर को आपको कब दिखाना चाहिए?यदि आप पीसीओएस (pcos) के इन लक्षणों में से किसी भी लक्षण से पीड़ित हैं| PCOS महिलाओं के उम्र की तीनों अवस्थाओं को प्रभावित करता है | 1-किशोरावस्था के दौरान: (young age) मुंहासे, चेहरे पर अत्यधिक बाल आना और अनियमित पीरियड्स होते हैं।2-प्रजनन आयु के दौरान (reproductive age) पॉलीसिस्टिक अंडाशय(ovaries) के साथ बांझपन की दर(percentage) बहुत अधिक है। इन महिलाओं को आमतौर पर गर्भवती होने में कठिनाई होती है और आमतौर पर गर्भधारण के अवसरों में सुधार के लिए उपचार(treatment) की आवश्यकता होती है।जिन महिलाओं में पीसीओएस की वजह से गर्भधारण करने में मुश्किल हो रही है उन्हें एक प्रजनन चिकित्सक (infertility specialist) से परामर्श करना चाहिए जो पीसीओएस को ठीक से समझता है। बांझपन और गर्भावस्था में मधुमेह (gestational diabetes) की संभावना अधिक होती है। 3- 30-40 के बाद: -(old age)ऐसी महिलाओं के लिए मधुमेह, हृदय रोग, गर्भाशय के कैंसर,के लिए 5 गुना बढ़ा हुआ जोखिम होता है| एक अध्ययन(studies) से पता चला है कि भारत में लगभग 18% महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित हैं और बढ़ते मोटापे के कारण यह समस्या और बढ़ती जा रही है।पीसीओएस में गर्भधारण के इलाज को तीन steps में किया जा सकता है जैसे – १- पहला इलाज़ जिसमें महीने के दूसरे या तीसरे दिन से अंडा बनाने की दवाई खिलाकर अल्ट्रासाउंड के जरिये अंडे की वृद्धि को देखते हुए महिला को दिन बता दिए जाते हैं जब हस्बैंड (husband) और( wife) को साथ में रहना होता है |२-अगर पहले इलाज से गर्भधारण नहीं हो पाता तो IUI (intra uterine insemination) के द्वारा गर्भधारण कराया जा सकता है जिसमें कि अंडा बनने पर हस्बैंड (husband) के शुक्राणुओं को लैब (andrology lab) में तैयार करके बच्चेदानी में एक पतली नली के द्वारा डाल दिया जाता है | यह एक दर्दरहित प्रोसीजर (procedure) होता है जिसे करने में सिर्फ ५-१० मिनट ही लगते हैं | ३- आखिरी इलाज IVF (in vitro fertilization) होता है जो कि तब किया जाता है जब पहले सारे इलाज करने के बावजूद गर्भधारण करने में असफलता प्राप्त होती है |IVF में अंडा बनाने के लिए दवाई की जगह इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है ताकि अंडों की अधिक मात्रा में प्राप्ति हो | जिससे हमें एक बार में ही अधिक भ्रूण मिलने की सफलता प्राप्त हो | यह इंजेक्शन १०- १२ दिन लगते हैं और बारहवें दिन जब सारे अंडे mature हो जाते हैं तब , अल्ट्रासाउंड (ultrasound) के जरिये देखते हुए अण्डों को निकाल लिया जाता है | यह बिलकुल दर्दरहित होता है और आपको ३-४ घंटे भर्ती किया जाता है | इसके बाद लैब में भ्रूण बनाया जाता है , जिसे ३-५ दिन बाद बच्चेदानी में डाल दिया जाता है | IVF में इंजेक्शन के अलावा और कहीं भी इस प्रक्रिया में कोई दर्द नहीं होता |हालाँकि, आपको यह ध्यान रखना है कि प्रत्येक मरीज अलग होता है और स्थितियाँ एक मामले से दूसरे मामले में भिन्न हो सकती हैं। इसलिए किसी भी तरह के निष्कर्ष पर जाने से पहले एक अच्छे डॉक्टर की राय लें।ज्यादा जानकारी के लिए और आपकी सहायता करने के लिए हमारे ORIGYN FERTILITY AND IVF CENTRE पर संपर्क करेंहमारे चिकित्सक आपकी हर तरह से सहायता करने के लिए तत्पर हैं |
कानून अथवा लॉ का प्रोफेशन बेहद संवेदनशील एवं जिम्मेदारी का प्रोफेशन है जो समाज व देश निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।अगर आप लॉ की फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले एक प्रतिष्ठत संस्थान की तलाश होगी। आपके लिए एसजीटी यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी एक बेहतर विकल्प हो सकती है।एसजीटी यूनिवर्सिटी की लॉ फैकेल्टी (विधि संकाय) की स्थापना वर्ष 2014 में विभिन्न सामाजिक (सोशल)एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि (कल्चरल बैकग्राउंड) से आने वाले छात्रों को गुणवत्तापूर्ण कानूनी शिक्षा प्रदान करने के मिशन के साथ की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को समृद्ध अकादमिक वातावरण प्रदान करना है, जिससे अधिक से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रबुद्ध व मेहनती लॉ प्रोफेशनल्स तैयार हो सकें।क्यों चुने एसजीटी यूनिवर्सिटीकीफैकल्टीऑफ लॉ कोएसजीटी विश्वविद्यालय की लॉ फैकेल्टी उच्चतम गुणवत्ता वाली कानूनी शिक्षा देनेके लिए प्रतिबद्ध है। यहां देश-दुनिया के प्रतिष्ठितविश्वविद्यालयोंकेअनुभवीशिक्षक अपनी सेवाएं देते हैं। यहां के पाठ्यक्रमको नेशनललॉयूनिवर्सिटी के साथकोलेबरेशन में बनाया गया है। यह फैकेल्टी लाइव केस हैंडलिंग केअनुभव के लिए प्रतिष्ठित लॉयर्सएवं लॉ फर्मों के साथ इंटर्नशिप का अवसर प्रदान करता है। यहां वैश्वीक (ग्लोबल) की कानूनी समझ विकसित करने के लिए विदेशी कानूनी प्रणाली (फॉरेन लॉ सिस्टम) की पढ़ाई भी करायी जाती है। यहां छात्रों को सेमिनारों, सम्मेलनों, मूट कोर्ट व इंटरैक्टिव सेशन्स में बड़े कानून विशषज्ञों के साथ सीधे इंटरेक्शन का मौका मिलता है।इसका भारतीय राष्ट्रीय बार एसोसिएशन व CIRCजैसे संस्थानों के साथ कॉलेबरेशन है।यहां न्यायिक सेवाओं (लॉ सर्विसेज) और सिविल सेवाओं (सिविल सर्विसेज) की परीक्षा के लिए इन बिल्ट कोचिंग मॉड्यूल भी उपलब्ध है।कोर्स एवं कार्यक्रम एसजीटी यूनिवर्सिटी का लॉ फैकेल्टी निम्नलिखित कोर्स/प्रोग्राम ऑफर करता है-BA LLB (Hons.
)Bachelor of Law (LLB)Masters of LawPh.D in Law एसजीटी यूनिवर्सिटी के लॉ फैकेल्टी के इंडस्ट्रीयल टाई-अपविधि संकाय (लॉ फैकेल्टी) ने निम्नलिखित व्यावसायिक संघों / संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं:इंडियन नेशनल बार एसोसिएशन, नई दिल्ली।सीयूटीएस इंस्टीट्यूट फॉर रेगुलेशन एंड कॉम्पिटिशन (CIRC), नई दिल्ली।इंडस्ट्री ओरिएंटेडस्पेशल कोर्सएसजीटी यूनिवर्सिटी की लॉ फैकेल्टी कुछ चुनिंदा लॉ स्कूलों में से एक है जो एक ट्राइमेस्टर पैटर्न प्रदान करते हैं, जिसमें एक छात्र को एक वर्ष में तीन बार इंटर्नशिप का अवसर मिलता है। जिससे 5 साल की डिग्री प्रोग्राम के अंत में 15 इंटर्नशिप करने के बाद छात्र प्रोफेशनल सेवाओं के लिए पूरी तरह तैयार होता है।सेमेस्टर / वर्षों में विभाजित विशेष ऐड-ऑन कोर्सलॉ फैकेल्टी छात्रों को आनर्स के चयन में पूरी आजादी देता है। कोई भी छात्र कॉरपोरेट लॉ, इंटरनेशनल ट्रेड लॉ, कांस्टीट्यूशनल लॉ या क्रिमिनल लॉ में विशेषज्ञता का चयन अपनी इच्छा और करियर के विकल्पों के आधार पर कर सकता है। अंतिम वर्ष में छात्रों को निम्नलिखित विशेष पाठ्यक्रमों की पेशकश की जाती है जैसे:अमेरिकी लॉ सिस्टम, यूरोपीय यूनिय लॉ, इंग्लिश लिगल सिस्टम और एक विदेशी भाषा (फ्रेंच या जर्मन)।लॉ की पढ़ाई के बाद करियर की क्या हैं संभावनाएं?लॉ की पढाई के बाद एकलॉयर के रूप में अपने करियर की शुरूआत करने के अलावालॉ स्नातकों के पास आज कानून के प्रोफेशन में शामिल होने के लिए विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों में लॉ ऑफिसर / लिगलएडवाइजर / लिगल एक्सीक्यूटिव के रूप में काम करने का विकल्प है। बड़े कॉरपोरेट घराने, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों, बैंक, बीमा कंपनियां, एलपीओ और एनजीओ उच्च पैकेज पर लॉ ग्रेजुएट्स कासीधे कैम्पस प्लेसमेंट करते हैं। इसके अतिरिक्त लॉ ग्रेजुएट्स सिविल सर्विसेजमें भी अपनी सेवाएं दे सकते हैं।लॉ फैकेल्टी, एसजीटी यूनिवर्सिटी मानव गरिमा एवं सामाजिक कल्याण (सोशल वेलफेयर) को बढ़ावा देने और जनसामान्य को न्याय प्रदान करने के लिए समर्पित लॉ प्रोफेशनल्स का निर्माण करना चाहता है। साथ ही इसका उद्देश्य विश्व स्तर के लॉ प्रोफेनल्स का निर्माण करना है।
हमारा केंद्र ( Shri Shuddhi deaddiction centre bhopal) श्री शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र मारक्यु विकास एवं कल्याण समिति द्वारा संचालित नशा मुक्ति केंद्र है, जो की मध्य प्रदेश शासन के सामजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग (Social Justice and Disability Welfare Department Madhya Pradesh) द्वारा मान्यता प्राप्त (*Govt.Approved*) है। हमारे केंद्र में किसी भी तरह का नशा करने के आदी व्यक्ति को प्रेमपूर्ण माहौल में रखकर अमेरिका के कार्यक्रम “एलकोहोलिक्स एनोनिमस (Alcoholics Anonymous) एवं नारकोटिक्स एनोनिमस (Narcotics Anonymous)” तथा योग, ध्यान, मनोवैज्ञानिक उपचार, ग्रुप थैरेपी (Group Therapy), पंचकर्म तथा मेडिकल ट्रीटमेंट के संयोजन से बनाये गए कार्यक्रम की सहायता से नशे से पूर्ण छुटकारा दिलवाया जाता है। अमेरिका के “ऐल्कोहोलिक्स एनोनिमस तथा नारकोटिक्स एनोनिमस” कार्यक्रम की मदद से विश्व में पचास लाख से ज्यादा लोग नशे से दूर हो चुके है। ये नशा मुक्ति हेतु सबसे प्रभावी कार्यक्रम है।
आज देश के पहले चीफ ऑफ़ डिफेन्स का ऐलान हो सकता है।देश की केंद्र सरकार आज इसका ऐलान कर सकती है। विपिन रावत इस दौड़ में सबसे आगे चल रहे है। ❍ क्या है चीफ ऑफ़ डिफेन्स ?चीफ ऑफ़ डिफेन्स यानि की तीनो सेनाओ थल सेना(आर्मी ) ,जल सेना(नेवी) और वायु सेना(एयरफोर्स ) के बीच तालमेल बिठाने के लिए और य सिंगल पॉइंट आदेश देने के लिए चीफ ऑफ़ डिफेन्स(सीडीस) बनाया जा रहा है। इसकी रिपोर्टिंग सीधे पीमओ(PMO) ऑफिस को होगी। इस पद पर काम करने वाले अधिकारी का कार्यकाल तीन साल का होगा। वह 65 की उम्र में रिटायर हो जायेगा। ❍ कब जरुरत महसूस हुई सीडीस की?
1999 कारगिल युद्ध के दौरान इस पद की जरुरत महसूस हुई क्योकि अगर यह पद उस समय होता तो कारगिल युद्ध इतना लम्बा न चलता और इतने देश के जवान उस समय शहीद न हुए होते। उस समय की तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने 2001 में उस समय देश के तत्कालीन उपप्रधानमंत्री श्री लाल कृष्ण अडवाणी ने अध्यक्ष के रूप में एक ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर ने इस पद की सिफारिश की थी। लेकिन तीनो सेनाओ के बीच तालमेल न होने के कारण यह सिफारिश ठंडे बस्ते में डाल दी गयी। ❍ प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त के दिन घोषणा की हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंदर मोदी जी ने 15 अगस्त 2019 को लाल किले से आज़ादी वाले दिन इस पद की घोषणा की थी। लगभग 20 साल बाद यानि जो कदम वाजपेयी सरकार के समय में होना था अब वह मोदी सरकार के समय होने जा रहा है। अधिक जानकारी के लिए: https://www.flypped.com/first-chief-of-defense-can-be-announced-today/hindi/